Adani Foundation के Sathwaro initiative से उद्यमियों को मिला समर्थन

सथवारो पहल कारीगरों के उत्थान में मदद करते हुए भारत की कला और शिल्प कौशल को संरक्षित करने की दिशा में काम कर रही है. Adani Foundation की टीम ने बिस्मी महिलाओं की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें जुलाई 2022 में स्वयं सहायता समूह बनाने में मदद की.

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मिस्बाह
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Image: Ravivar vichar

अडानी फाउंडेशन (Adani foundation) अपनी सामाजिक पहलों के ज़रिये सामुदायिक विकास को प्राथमिकता देता है. इसी तरह की सथवारो पहल (Sathwaro initiative) कारीगरों के उत्थान में मदद करते हुए भारत की कला और शिल्प कौशल को संरक्षित करने की दिशा में काम कर रही है (conserving traditional art).

बिस्मी महिलाओं को मिला Adani foundation का समर्थन 

“हम तब तक लगभग अदृश्य थे जब तक हमारे काम ने हमारे लिए बोलना शुरू नहीं किया था, या यूं कहें तब तक हमारे पास कोई आवाज नहीं थी.” ये शब्द तमिलनाडु में पोन्नेरी तालुका की कोट्टईकुप्पम पंचायत में जमीलाबाद के बिस्मी समूह की मुस्लिम महिलाओं के हैं.

इस दक्षिणी राज्य में जमीलाबाद एक छोटा सा गांव है और मछली पकड़ने वाले मुस्लिम समुदाय का घर भी. इस समुदाय को उन महीनों में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है जब मछली पकड़ने पर प्रतिबंध होता है. महिलाएं, जो शायद ही कभी अपने घरों से बाहर निकलती हैं, अपने खाली समय में ताड़ के पत्तों से छोटी-छोटी वस्तुएं बनाती हैं, जिससे उन्हें मुश्किल से ही पैसे मिलते हैं.

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Adani Foundation Sathwaro initiative

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अदाणी फाउंडेशन (Adani foundation share prices) की टीम ने बिस्मी महिलाओं की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें जुलाई 2022 में स्वयं सहायता समूह (self help group) बनाने में मदद की. 14-सदस्यीय समूह की स्किल ट्रेनिंग शुरू की गई. फाउंडेशन ने आजीविका संवर्धन परियोजना के तहत 70 हज़ार रुपये की सामग्री के रूप में समर्थन भी दिया. 

समूह सदस्य फातिमा कहती हैं, “हमने इन पत्तियों से शॉपिंग बैग, लंच और चॉकलेट बॉक्स, मैट, ट्रे जैसी चीजें बनाई और जुलाई और सितंबर 2023 के बीच 1,20,000 रुपये कमाए.” वे अपने गांव में उद्यम शुरू करने वाली पहली महिलाओं में से एक बनीं .

Adani Foundation की सथवारो पहल से कारीगरों को मिली डिजाइन डेवलपमेंट में मदद 

अदाणी फाउंडेशन (Adani Foundation shares) अपने सथवारो यानी एक साथ पहल के ज़रिये कारीगरों को डिजाइन डेवलपमेंट में मदद करता है ताकि वे बाजार की मांग के अनुसार उत्पादन कर सकें. यह पहल कारीगरों को अपने उत्पाद बेचने में मदद करने के लिए बाजार संपर्क बनाने में भी सहायता प्रदान करती है.

नेल्लोर के मुथुकुरु गांव की रहने वाली सोगा मैरी परिवार के बढ़ती खर्चों में हाथ बटाना चाहती थी. मैरी कहती हैं, “मैं बांस शिल्प बनाना जानती थी और घर से अपना खुद का उद्यम शुरू करना चाहती थी.” पर, उसके पास बांस की छड़ें, हैंडल के लिए तार और उन वस्तुओं को बनाने के लिए ज़रूरी सामान खरीदने के पैसे नहीं थे.

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Image Credits: Rethinking The Future

अडानी फाउंडेशन (Adani foundation shares) ने मैरी को माइक्रो-एंटरप्राइज (women's micro enterprise) शुरू करने के लिए थोक में ज़रूरी सामग्री उपलब्ध कराइ. मैरी कहती है, "आज मैं बांस की टोकरियां, लाइट कवर, ट्रे, फूलों की टोकरियां आदि जैसी हैंडीक्राफ्ट वस्तुएं बेचकर हर महीने 6 हज़ार रुपये कमाती हूं.”

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Adani foundation ने मैरी जैसी कई पहली पीढ़ी की उद्यमियों को अपने उत्पादों का प्रदर्शन करने के लिए एक प्रभावशाली मंच देने के लक्ष्य से अडानी कॉरपोरेट हाउस में सथवारो मेला आयोजित किया. सफलता की ये कहानियां इस बात का प्रमाण हैं कि मार्गदर्शन और समर्थन के ज़रिये किस तरह बड़ी कम्पनियां वंचित वर्ग के समुदायों को आत्मनिर्भर बनने में समर्थन कर सकती हैं.

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