पिछौड़ा के रंगों से महिलाओं की ज़िंदगी गुलज़ार

उत्तराखंड की पहचान पिछौड़ा लोक कला से SHG की महिलाओं की ज़िंदगी गुलज़ार हो गई. समूह की महिलाओं ने इस परंपरागत लोक कला को अपने लिए रोजगार का नया साधन बना लिया. अब  कई समूह की महिलाएं इसे व्यवसायिक रूप से कर रहीं. 

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पिछौड़ा के रंगों से महिलाओं की ज़िंदगी

(Image: Ravivar Vichar)

उत्तराखंड (Uttarakhand) खासकर कुमायूं (Kumaon)  इलाके में पिछौड़ा (Pichora) लोक कला (Traditional Art) बहुत प्रचलन में है. महिलाएं पिछौड़ा रंग (Pichora Clour) से तैयार ओढ़नी (Odhani) का उपयोग मांगलिक उत्सव (Celebretion) पर करती हैं. Self Help Group की महिलाएं ये ओढ़नियां और दूसरे पहनावे बना रहीं.

पिछौड़ा रंगों में अब नज़र आ रही आधुनिकता

उत्तराखंड (Uttarakhand) राज्य की पहचान पिछौड़ा (Pichora)  लोक कला (Traditional Art) और रंगों में अब आधुनिकता नज़र आने लगी. स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) की महिलाएं इस कारोबार से आर्थिक मजबूत हो रही. रंगवाली पिछौड़े (Pichora) यानी ओढ़नी पर महिलाएं अपने परिजन खासकर पति, भाई या किसी का नाम भी लिखवा रही.

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उत्तराखंड में पिछौड़ा ओढ़े महिलाएं (Hindu Post)

     



हल्द्वानी (Haldwani) के कालिका स्वयं सहायता समूह (Self Help Group)की सदस्यों ने बताया- "हम समूह की दस महिलाएं इन दिनों रंगवाली पिछौड़े पर दंपति के नाम की कलाकृतियां बना रही. सादे पिछौड़े में खूबसूरत कलाकृतियों के साथ डिमांड के आधार पर दो हजार से तीन हजार में ये ओढ़नी बिक जाती है. हमें ख़ुशी है कि कई महिलाओं ने २५ से ज्यादा ऑर्डर दे चुकीं हैं.हम आसानी से दस से 15 हजार रुपए महीने कमा लेते हैं."

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पिछौड़ा ओढ़े महिला (Image :Socail Mdeia)

प्रदर्शनियों में बनी पहली पसंद  

पिछौड़ा रंग  (Pichora Clour) और कलाकृति  में कुछ बदलाव करते ही इसकी डिमांड बढ़ गई. यहां तक कि देहरादून, हरिद्वार जैसे शहरों में लगने वाली प्रदर्शनियों में महिलाओं की पहली पसंद पिछौड़ा आर्ट बन गई.

हाल ही में धार्मिक त्यौहार कारवां चौथ, नवरात्र और दीवाली पर महिलाओं ने नेम प्रिंटेड पिछौड़े बहुत पसंद किए.      

हल्द्वानी के कालिका स्वयं सहायता समूह (SHG) की  अध्यक्ष किरन जोशी ने बताया- "यह हमारे राज्य की खास पहचान है.ओढ़नी के अलावा हम स्कॉर्फ,स्टॉल सहित डिमांड पर दूसरे कपड़े को भी तैयार कर देते हैं. मांगलिक उत्सव (Celebretion)में महिलाएं इस पिछौड़े को ओढ़ती हैं."

पिछौड़ा एक ओढ़नी है. सामान्य रूप से यह पीले कलर का कपड़ा होता है. इस पर अब महिलाएं अपनी चॉइस के अनुसार कलर करवाती हैं. इस तरह अब आधुनिक दौर में अपने पसंदीदा का नाम भी लिखवाती हैं. लाल रंग का खास उपयोग किया जाता है. किनारे पर ट्रेडिशनल आर्ट में कभी शंख तो कभी हाथी-घोड़े या लोक संस्कृति से जुड़ी आर्ट भी बनवातीं हैं.

DAY SRLM से जुड़े SHG की महिलाओं को इस आर्ट के लिए प्रमोट किया जा रहा.     

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