MP के Khargone जिले में Tribal block Bhgawanpura का एक परिवार सिर्फ इसीलिए सुर्ख़ियों में है जिसमें एक साथ कई पीढ़ी के सदस्य मिल जाएंगे.गांव देवड़ा में यह परिवार खेती कर अपनी खुशहाल ज़िंदगी जीता है.International Family Day की सोच को ये पूरी कर रहे.
'लीडर दादी' की हर बात पर लगती मुहर
आजकल 2 बच्चे और माता-पिता,या ज्यादा से ज्यादा सास-ससुर भी साथ हों तो उसे सयुंक्त परिवार मान लिया जाता है.देवड़ा गांव में इस परिवार की लीडरशिप अभी भी एक ही बुजुर्ग लेडी ही कर रही.यहां एक ही चूल्हे पर सभी का खाना बनता है. यहां बस्ती में पहुंचते ही लगता है कि कोई कुटुंब है या कॉलोनी.
जो भी इस इलाके में घूमने आता है, वह इस परिवार से मिलने में दिलचस्पी जरूर रखता है.
यह भी पढ़ें- Poultry Farming से महिलाओं की जिंदगी ने पकड़ी रफ़्तार
70 वर्षीय परिवार की दादी मां नबली बाई मुखिया की तरह रहती है.9 में दो बेटियों की शादी हो गई. परिवार के दूरसिंह कहते हैं- "हम सब भाइयों का परिवार एक बड़े कुनबे के रूप में रहता है. वक्त के साथ कमरे बनाते चले गए. एक ही छत के नीचे सलाह-मशवरा और सुख-दुख बांटते हैं. हम अलग नहीं हो सकते."
घर का हर सदस्य उनकी उम्र के हिसाब से काम करता है.
Social Management का example बनी family
परिवार का कोई भी सदस्य मुखिया को नहीं छोड़ना चाहता है नतीजतन देखते ही देखते इस कुनबे में सदस्यों की बढ़ती संख्या से एक ही परिवार का घर अब कॉलोनी में बदलता गया.
इस परिवार मे मुखिया सहित 72 लोग है. परिवार के लोग शाम को एक साथ बिताते हैं. घूघरिया बामनिया के निधन के बाद नबली बाई लीडर की भूमिका में है.
नबली बाई कहती है- "हमारा परिवार कभी अलग नहीं हो सकता. कुल 72 सदस्यों में 35 बेटियां और उनके बच्चे हैं.सभी बच्चे स्कूल जाते हैं. पूरा परिवार एक ही साथ सारे तीज-त्यौहार मनाते हैं." सभी खेती-बाड़ी में व्यस्त रहते हैं.
पुत्र कैलाश बामनिया बताते हैं- "मेरे पिता के निधन के बाद हमारी मां जो कह देती है वही बात फाइनल होती है. सभी भाई खेतों में काम करते हैं और बहुएं भी घर के कामकाज संभालने के साथ पतियों का साथ देती है."
Social Management का सबसे बड़ा example है.
देवी अहिल्या विश्व विद्यालय के जर्नलिज़्म डिपार्टमेंट की हेड डॉ.सोनाली सिंह नरगुंदे कहती हैं-"परिवारों की एकजुटता आपसी समझ और त्याग की बुनियाद पर खड़ी होती है.देवड़ा गांव का यह परिवार उन लोगों के लिए सबक है जो पढ़े-लिखे होने का दावा कर भी परिवार को संभाल कर नहीं रख पाते."
यह भी पढ़ें- Mother's Day 2024 - बच्चों से लेकर दुनिया तक सब संभालती मां!