परिवार के स्टेटस के लिए महिलाओं का स्टेटस बदलना जरूरी

परिवार के स्टेटस को बदलने के लिए परिवार के महिलाओं का स्टेटस बदला बहुत जरूरी है. आत्मनिर्भर होना जरुरी है. विधान सभा चुनाव में इलेक्शन ड्यूटी फेम शिक्षाविद विराज नीमा ऐसी महिलाओं के लिए लगातार काम कर उन्हें प्रोत्साहित कर रही.

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विवेक वर्द्धन श्रीवास्तव
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बिस्टान स्कूल में अभिभावक और बच्ची के साथ टीचर विराज नीमा (Image: Ravivar Vichar)          

MP में पिछले कुछ दिनों से महिलाओं को लेकर समाज हो,संस्थाएं या कोई प्रदेश की सरकार वह महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए योजनाओं पर काम कर रही मौके दे रही. ऐसे में खरगोन जिले की शिक्षाविद विराज नीमा जरूरतमंद महिलाओं को योजनाओं का लाभ लेने और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए ग्रामीण अंचल में प्रोत्साहित भी कर रही.

Women Empowerment  के लिए खुद का पॉवर समझना जरूरी 

Women Empowerment के लिए केंद्र और राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर ओर जुटीं हुईं हैं. ग्रामीण एवं पंचायत मंत्रालय हो या महिला एवं बाल विकास विभाग,सभी में योजनाओं को लागू किया.women empowerment के लिए खुद की ताकत समझना जरूरी है.
इसी की मदद से Self Help Group का गठन और महिलाओं को जोड़ने का क्रम जारी है. अच्छी बात है कि स्वयं सहायता समूह के लिए Ajeevika Mission का स्ट्रक्चर ग्रामीण स्तर तक है.
SHG से जुड़ने के बाद महिलाएं खुद कई तरह से अपने रोजगार और आत्मनिर्भर बनने के लिए अवसर चुन सकती हैं.

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साक्षरता अभियान में महिला का स्वागत करते हुए विराज नीमा ((Image: Ravivar Vichar)) 

 यदि वे कृषि से जुड़ीं  या थोड़ी भी समझ है तो वे मजदूरी छोड़ कृषि सखी बन सकती है. Organic Farming की training लेकर दूसरों को ट्रेनिंग दे सकती हैं. यही महिलाएं बैंक सखी,पशु सखी, हेल्थ सखी बन सकती है. इस काम से जहां महिलाओं को कठिन मजदूरी से छुटकारा मिलेगा, वहीं अपने गांव और इलाके में सम्मान की ज़िंदगी जी सकेगी.
इन सब कामों में कमाई से आत्मनिर्भर बन सकेगी. 

परिस्थितियों को हराकर बनी मिसाल महिलाएं

प्रदेश और बाहर कई महिलाओं ने अपनी विषम परिस्थितियों से लड़कर मिसाल कायम की. मंडला,बालाघाट जैसे आदिवासी जिलों में गरीबी से जूझने वाली Lahari Bai ने Millets पर काम किया और पद्मश्री मिला.मुरैना की बबिता ने पानी के लिए ज़िद ठानी और जलशक्ति अवार्ड मिला. बड़वानी जिले की पूजा यादव ने ससुराल द्वारा ठुकरा दिए जाने पर खुद को बैंक सखी बनाया.

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पद्मश्री से सम्मानित होती लहरी बाई (File Image: Ravivar Vichar)

यह तो कुछ उदाहरण हैं.हम यह समझ सकते हैं कि इन सब में एक बात जो कॉमन है वह मेहनत और ज़िद. सरकारें यदि योजनाएं ला रही तो हम महिलाओं को भी रूचि दिखाना होगी. अभी भी युवतियों में हेल्थ इश्यू बने हुए. पीरियड्स के दौरान कई परिवार रूढ़ियों के नाम पर बच्चियों को घर के कोने में बैठा रहे.हम महिलाओं को ही हेल्थ हाइजीन और सैनिटरी पेड्स के उपयोग सिखाना होंगे. 
बच्चियों को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर आत्मनिभर बनाने के लिए महिलाओं की काउंसलिंग निरंतर जरूरी है. 

विराज नीमा 

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