उद्यमिता का रास्ता चुन गरीबी को दूर कर रही सविता

सविता राधा-कृष्ण महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़कर सीसीएल लोन के तहत मूढ़ी बनाने की मशीन खरीदी और इसे घर पर लगाकर मूढ़ी बनाने का काम शुरू किया.

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हेमा वाजपेयी
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झारखंड (Jharkhand) की रहने वाली सविता ने सभी को सिखाया है कि गरीबी के बावजूद, अपनी मेहनत, संघर्ष और आत्म-विश्वास के साथ काम करने से आप सपनों को पूरा कर सकते हैं.

यह कहानी महिला उद्यमि सविता महतो की है, जिन्होंने गरीबी के बावजूद अपने परिवार की तकदीर खुद बदली. पूर्वी सिंहभूम जिले के कुकड़ाखुपी गांव में रहने वाली सविता और उनके पति प्रभात कुछ साल पहले गरीबी के बोझ के साथ अपने जीवन की शुरुआत की थी. पति के साथ मिलकर वे गांव के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर जीवन यापन कर रही थीं. उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी.

सीसीएल लोन से मशीन खरीदी 

एक दिन जेएसएलपीएस (JSLPS) की सीआरपी दीदी गांव में आईं और स्वयं सहायता समूह (Self Help Groups) और सरकार के योजनाओं के बारे में जागरूकता फैलाई. सविता ने इस मौके का फायदा उठाया और राधा-कृष्ण महिला स्वयं सहायता समूह (SHG) से जुड़ गईं. उन्होंने सीसीएल लोन (CCL Loan) के तहत मूढ़ी बनाने की मशीन खरीदी और इसे घर में लगाकर मूढ़ी बनाने का काम शुरू किया.

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रोजाना 800 से 1000 हजार रुपये कमाती है सविता

2022 में, उन्होंने अपने काम को और भी बढ़ाने के लिए मूढ़ी बनाने की मशीन खरीदी और अब वे रोजाना 800 से 1000 हजार रुपये कमाती हैं. इस सफलता के साथ, सविता ने न केवल अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारा है, बल्कि वह अपने गांव और समाज के लिए एक प्रेरणा स्त्री भी बन चुकी हैं. 

आज सविता दूसरी महिलाओं को भी स्वयं सहायता समूह (Women SHG) से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं. इससे उनके गांव के लोगों की जीवन में सकारात्मक परिवर्तन हो रहा है. सविता ने साबित किया है कि आत्म-समर्पण और प्रयास से हम अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं.

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