JSW फाउंडेशन के साथ मैन्ग्रोव संरक्षण बना आर्थिक आज़ादी का ज़रिया

JSW फाउंडेशन ने 380 हेक्टेयर ज़मीन को कवर करते हुए, करीब 20 लाख पौधे लगाए जिसका सर्वाइवल रेट 70% से ज़्यादा है. 2016 से, JSW फाउंडेशन  जल निकाय और आसपास की भूमि के बीच इस बायो-शील्ड को विकसित करने के लिए काम कर रहा है:

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मिस्बाह
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mangrove conservation JSW foundation

Image Credits: Panaroma

मैंग्रोव कटाव रोकते हैं, चक्रवातों को धीमा करते हैं,  इकोसिस्टम की रक्षा करते हैं, कार्बन को सोखते हैं, और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के लिए पोषण का इंतज़ाम करते हैं. इसके अलावा, तटीय समुदायों को कई ज़रूरी संसाधन और रोज़गार का ज़रिया भी देते हैं. क्लाइमेट चेंज, पेड़ों की कटाई, और शहरीकरण की वजह से मैन्ग्रोव ख़त्म हो रहे हैं. मैंग्रोव संरक्षण (mangrove conservation) के लिए कई संथाएं, स्थानीय समुदाय, और स्वयं सहायता समूह (self help group) आगे आ रहे हैं. महाराष्ट्र (Maharashtra) के रायगढ़ (Raigad) में मैंग्रोव को बचाने के लिए  JSW फाउंडेशन (JSW Foundation) ने अहम पहल की.

JSW फाउंडेशन ने लगाए 20 लाख पौधे, बचा रहे मैन्ग्रोव कवर 

JSW फाउंडेशन, 23 अरब डॉलर के JSW समूह की CSR शाखा है. 380 हेक्टेयर ज़मीन को कवर करते हुए, करीब 20 लाख पौधे लगाए जिसका सर्वाइवल रेट 70% से ज़्यादा है. 2016 से, JSW फाउंडेशन  जल निकाय और आसपास की भूमि के बीच इस बायो-शील्ड (bio shield) को विकसित करने के लिए काम कर रहा है.

मैंग्रोव संरक्षण को बनाया आजीविका बढ़ाने का ज़रिया 

इस कार्यक्रम की ख़ास बात यह है कि मैंग्रोव संरक्षण के काम को  आजीविका बढ़ाने के नज़रिये से देखा जा रहा है (mangrove conservation giving livelihood). इस परियोजना ने तरह-तरह से स्थानीय लोगों को रोज़गार दिया है. खेती, मछली पालन, घर-आधारित मुर्गीपालन, मैंग्रोव पौधों का रोपण और नर्सरी, जूट बैग जैसे पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद (eco friendly products) बनाकर तटीय समुदाय आत्मनिर्भर बन पा रहे हैं. 

200 स्वयं सहायता समूहों की 2000 महिलाएं बनी प्रोजेक्ट का हिस्सा 

बीज संग्रहण करने, जूट बैग बनाने, नर्सरी प्रबंधन और खेत में वृक्षारोपण करने के लिए 200 से ज़्यादा स्वयं सहायता समूहों (SHG conserving mangroves) की 2000 से ज़्यादा महिलाओं ने न केवल परियोजना गतिविधियों के ज़रिये आय अर्जित की है, बल्कि मैंग्रोव के महत्व की गहरी समझ भी विकसित की है. इस प्रोजेक्ट के ज़रिये साथ काम कर महिलाओं ने लगभग 5 करोड़ रु. कमाए. महिलाओं को अपनी आजीविका बढ़ाने के लिए सिलाई का प्रशिक्षण भी दिया गया.

तालाबों को मछली पालन के लिए विकसित किया गया जिससे मछुआरों को आर्थिक फायदा हुआ. सामुदायिक तालाबों की खुदाई से निकाली गई मिट्टी का इस्तेमाल तटबंधों के बनाने और आसपास के खेतों में ऑर्गनिक फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए किया. 

JSW फाउंडेशन के CEO श्री अश्विनी सक्सेना ने कहा, “महाराष्ट्र राज्य के रायगढ़ जिले के डोलवी में चल रही मैंग्रोव  संरक्षण परियोजना पर्यावरण और लोगों की भलाई के लिए शुरू की गई है. पर्यावरण प्रबंधन को आजीविका का ज़रिया बना गया है, जिससे प्रकृति और समुदायों के बीच तालमेल बना रहे."

JSW फाउंडेशन के इस अनोखे प्रयास से सीखकर देश के 4,975 sq km मैंग्रोव एरिया को ख़त्म होने से बचाते हुए स्थानीय समुदायों को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है.  

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