श्रीकृष्ण के साथ पूजी जाती कंस की दासी

मध्यप्रदेश में संभवतः एकमात्र ऐसा अनूठा मंदिर है जहां कृष्ण के साथ कंस की दासी को भी पूजा जाता है. खरगोन में मुरली मनोहर मंदिर में राधा-कृष्ण की मूर्तियों के साथ दासी की मूर्ति को भी सजाया गया.जन्माष्टमी पर यहां भक्तों का हुजूम उमड़ता है.      

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खरगोन का प्रसिद्ध मुरली मनोहर मंदिर (Image Credits: Aditi Bhatore)

श्रीकृष्ण को देख बेसुध हुई दासी 

श्रीकृष्ण (Krishna) और इस दासी (Maidservant) का यह प्रसंग सबसे अलग है. खरगोन  (Khargone) में मुरली-मनोहर मंदिर (Murli Manohar Tample) के पुजारी कृष्णकांत शुक्ला बताते हैं - "मथुरा के राजा कंस के ऐशोआराम के लिए कई दासियां सेवा में रहतीं. उनमें से एक दासी कुब्जा भी थी. कुबजा रोज़  चंदन का लेप बनाकर राजा कंस लेप करती थी. भगवान श्रीकृष्ण जब पहली बार मथुरा आए तो वहां खड़ी जनता के बीच भीड़ में पीछे दासी कुबजा भी खड़ी थी. कृष्ण को देखा तो देखती रह गई. वह भावविभोर हो गई. कुबजा से रहा नहीं गया. कंस के लिए तैयार किया वह लेप श्रीकृष्ण को लगा दिया. प्रसंगों में बताया गया कि इसके बात दासी बेसुध सी हो गई." 

कृष्ण भक्ति में लीन हुई कुबजा 

प्रसंगों में उल्लेख किया गया कि श्रीकृष्ण के मथुरा में प्रवेश करते ही गलियां महक उठीं. जनता देखने उमड़ गई. दासी  की भक्ति देख भगवान कृष्ण भावुक और द्रवित हो गए. वे खुद भीड़ में कुबजा (Kubja) के पास गए. कंस की सेवा में रहने वाली कुबजा जन्म से कुरूप और अधिक झुकी हुई कमर (कूबड़) थी. कृष्ण ने अपना एक पैर कुबजा के पंजे पर रखा और पूरा सीधा कर खड़ा कर दिया. कृष्ण यहीं नहीं रुके. उन्होंने दासी का प्रेम देख गले लगा लिया. स्नेह से हाथ फेरा. कुरूप सी दिखने वाली कुबजा पूरी तरह स्वस्थ और शरीर की बनावट सहज हो गई. कहा जाता है उसी पल से दासी कुबजा श्रीकृष्ण की भक्ति (Worship) में ऐसी लीन हुई कि मथुरा (Mathura) और आसपास कुबजा(Kubja) की भक्ति के किस्से सुनाए जाने लगे. 

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 मथुरा में श्रीकृष्ण के सामने खड़ी दासी कुबजा  (Image Credits: Sagar.Com)                  

250 साल पुराना मुरली मनोहर मंदिर

खरगोन (Khargone) के जागीरदार मोहल्ले में  बना मुरली मनोहर मंदिर (Murli Manohar Tample) बहुत प्राचीन है. पुजारी कृष्णकांत शुक्ला बताते है- "यह एक अनूठा मन्दिर है. भगवन श्रीकृष्ण की लीलाओं और प्रसंगों में इस घटना का उल्लेख है. यह मंदिर लगभग 250 साल से अधिक प्राचीन हैं. मंदिर में राधा के साथ कुब्जा की पूजा भी रोज की जाती हैं. यहां श्रद्धालु रोज़ दर्शन करने आते हैं."  जन्माष्टमीं (Janmashtami) और दूसरे त्योहारों पर ख़ास आयोजन होते हैं. यहां दूर दूर से श्रद्धालु शामिल होते हैं.

मथुरा में दासी कुबजा के अलग मंदिर 

भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली स्थान मथुरा में भी दासी कुबजा को ख़ास महत्व देकर मंदिर बने हुए हैं.यहां होली गेट के पास खास मंदिर है जहां राधा-कृष्ण न होकर कुबजा की मूर्ति स्थापित है. मान्यता है कि मंदिर के स्थान पर ही कुबजा का घर था. यहां एक भक्त पुजारिन बचपन से सेवा कर रही है. इसके अलावा मथुरा में यमुना किनारे बने विश्राम घाट पर भी कुबजा का खास मंदिर है. मान्यता है कि कंस के वध के बाद बी हगवां कृष्ण ने इसी घाट पर विश्राम किया था. मथुरा और आसपास के पवित्र क्षेत्र के जानकर विक्रम सिंह बताते हैं- "कुबजा की भक्ति के कारण ही यहां मंदिर हैं. श्रद्धालु की संख्या  लगातार बढ़ रही."

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मंदिर में श्रीकृष्ण और कुबजा की मूर्ति   (Image Credits: Vikaram Singh,Mathura)                 

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