कचरे में प्लास्टिक, पेपर, और मेटल से बनी चीज़ें हमारा ध्यान खींच लेती हैं. लेकिन, क्या किसीने सोचा, फूल भी प्रदूषण की वजह बन सकते हैं? (flower pollution) हर त्यौहार, ख़ुशी, गम, और पूजा में काम आने वाले फूलों में आर्सेनिक (arsenic), लेड (lead), और कैडमियम (cadmium) जैसे टॉक्सिन्स (toxins) होते हैं. फेक दिए जाने के बाद, ये नदियों और मिट्टी को प्रदूषित करते हैं (water and soil pollution from flowers). कानपुर (Kanpur) का एक स्टार्टअप (Startup) इन फेंके हुए फूलों को फिर से महकाने के सफ़र पर है. 'फूल' स्टार्टअप (Phool Startup) मंदिरों में इस्तेमाल किये गए फूलों को इकट्ठा कर उन्हें ईको-फ्रेंडली प्रोडक्ट में बदल रहा है (waste flower recycling).
'फ्लावर-साइक्लिंग' तकनीक से बनाई अगरबत्ती, धूपबत्ती, फ्लोरफोम और हर्बल गुलाल
सिर्फ़ उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मंदिरों से रोज़ाना 8.4 टन फ्लॉवर वेस्ट (flower waste) निकलता है. इन पवित्र फूलों से अनोखी 'फ्लावर-साइक्लिंग' तकनीक (flower-cycling technology) का इस्तेमाल कर, अगरबत्ती, धूपबत्ती, और हर्बल गुलाल बनाया जा रहा है (organic incence sticks). हानिकारक थर्मोकोल के इस्तेमाल को कम करने के लिए फ्लोराफोम (florafoam) भी बनाया जाता है. इसके अलावा रीसाइकल्ड फूलों से बने एसेंशियल ऑइल (essential oil) की भी काफी मांग है. सभी प्रोडक्ट्स ऑर्गनिक और बायोडिग्रेडेबल पैकेजिंग (organic and biodegradable packaging) में पैक होते हैं.
Image Credits: Phool
सभी उत्पाद महिला फ्लावर-साइक्लर्स (female flower-cyclers) द्वारा हाथ से बनाये जाते हैं, जिससे उन्हें लगातार और स्वस्थ आजीविका का ज़रिया मिला. आज मंदिरों के अधिकारी इस सस्टेनेबल मिशन (sustainable Mission) का हिस्सा बनना चाहते हैं, जो नदियों में मंदिरों के कचरे (temple waste) को डंप करने की सदियों पुरानी हानिकारक धार्मिक प्रथा के खिलाफ बदलाव की ओर इशारा करता है.
करीब 11,060 मीट्रिक टन मंदिर के कचरे को किया रीसायकल
साल 2017 में अंकित अग्रवाल (Ankit Agarwal) द्वारा शुरू किया गया 'फूल' स्टार्टअप करीब 11,060 मीट्रिक टन मंदिर के कचरे को रीसायकल (recycle) कर चुका है. 'फूल' शुरू करने का विचार अंकित को तब आया, जब वह अपने दोस्त के साथ घाट पर गए, और नदी किनारे कचरे की मात्रा देखकर चौंक गए.उन्हें फूलों को रीसायकल करने का आईडिया आया. शुरुआत में मंदिर प्रबंधन अपने फूलों के कचरे को देने के लिए तैयार नहीं थे. वो लगातार रीसाइक्लिंग की ज़रूरत के बारे में बताते रहे और आखिरकार उन्हें सफलता मिली. आज 'फूल' अपने तरह-तरह के ऑर्गनिक प्रोडक्ट्स के साथ लगातार आगे बढ़ रहा है.
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ऐसे कई और स्टार्टअप्स ट्रेडिशनल बिज़नेस तरीकों में बदलाव लाने के साथ ग्रीन और क्लीन भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं. रविवार विचार ऐसे सस्टेनेबल स्टार्टअप्स की जानकारी साझा करता रहेगा.