कश्मीर की घाटी रंग बिरंगे लैवेंडर से ऐसी दिखाई दे रही है मानों किसी त्यौहार के लिए सजी हो. लैवेंडर का सूथिंग ऑरा, नर्वस सिस्टम (Nervous System) को शांत कर, एंटीडिप्रेसेंट (Antidepressant) और मूड बूस्टर के रूप में काम करता है. जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) बोनेरा (Bonera) के पुलवामा (Pulwama) गांव में महिलाएं हर्ब इंडस्ट्री के वैधानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR), इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंटीग्रेटिव मेडिसिन (IIM) के फील्ड स्टेशन से बैंगनी फूल ख़ुशी-ख़ुशी इकठ्ठा करती है.
महिलाएं हो रहीं आत्मनिर्भर
SHG महिलाओं के लिए यह मौसमी रोजगार उन्हें रोजगार के साथ उनकी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने में मदद करता है. पहले जहां लोग बस अपने बगीचों में लैवेंडर को उगाते थे, आज यह North India में खेती में बदल गई है. फील्ड स्टेशन सेल्फ हेल्प ग्रुप की महिलाओं को AATMANIRBHAR और सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.
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एकरोमा मिशन
लैवेंडर (Lavender) की खेती के लिए SHG महिलाओं को ट्रेनिंग दी जाती है. कुछ महिला SHG अपने घर के बैकयार्ड में ही लैवेंडर की खेती कर अपनी आजीविका चला रहीं है. एकरोमा मिशन (Akroma Mission) के तहत CSIR द्वारा बोनेरा में 6,600 लैवेंडर के पौधे बांटे गए. जिससे self help group की महिलाओं को पौधे खरीदने के लिए खर्च की चिंता नहीं करनी पड़ी.
यूरोप में लैवेंडर तेल की मांग
लैवेंडर जड़ी बूटी की तरह है, जिसे साबुन, एरोमाथेरेपी तेल और चाय आदि जैसी चीज़ों में मिलाया जाता है. इसे ऑनलाइन के साथ बाजार और उम्मीद हाट मेले (Umeed Haat Exhibition) में बेचा जाता है. सरकारी योजनाओं की मदद से कृषि तकनीकी स्टार्ट अप (Start Up) भी क्षेत्र पर फोकस कर रहा है और इसी वजह से आज यूरोप (Europe) में लैवेंडर तेल (Lavender Oil) की मांग में वृद्धि हुई है. अब देर नहीं जब दुनिया भर में जम्मू कश्मीर को हर्बल हब (Herbal Hub) के रूप में जाना जायेगा.
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ऑस्ट्रेलिया से आ रहीं जड़ी बूटियां
J&K यूनिवर्सिटी जेनेटिक्स और प्लांट ब्रांडिंग विभाग के लिए नई पहल शुरू करने जा रहा हैं. लैवेंडर की सफल खेती को देखते हुए अब जरेनियम, क्लेरी सेज, आर्टिमिसिया और रोजमेरी जैसी और भी जड़ी बूटियों का उत्पादन शुरू किया जायेगा. इन जड़ी बूटियों के कुछ प्रकारों को ऑस्ट्रेलिया (Australia) से मंगवा कर उन्हें उच्च गुणवत्ता से उत्पादित करने की कोशिश की जा रही है. जो भी जड़ी बुटिया लुप्त हो गई हैं, उन्हें फिर से पुनर्जीवित करने का प्रयास किया जा रहा है. दूसरे स्थानों पर प्राप्त हो रहीं जड़ी बूटियों को प्राप्त कर, उनके उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नई योजनाएं बनाई जा रहीं है.