जम्मू कश्मीर, भारत की सबसे सुंदर जगह, जिसे देखकर ही वहां रहने का मन हो जाए. वहां की खुशबू से लेकर नज़ारे, हर चीज़ में एक सुकून है. इस सुंदरता में चार चाँद लगाते है, वहां के पारंपरिक व्यंजन और स्ट्रीट फ़ूड. कहते है न, अगर किसी राज्य में जाकर वहां का, स्ट्रीट फ़ूड नहीं ट्राई किया तो क्या किया?
जम्मू कश्मीर की महिलाएं चला रही है यह फ़ूड स्टॉल
बस इसी बात को हर पर्यटक के लिए ज़रूरी बना रहीं है, कश्मीर की सात महिलाएं. ये महिलाएं हम और आप जैसी ही आम है, लेकिन अपने क्षेत्र में फ़ूड स्टॉल्स लगा कर, परंपरा को तोड़ रही है. इनके क्षेत्र में महिलाओं का काम करना और फ़ूड स्टॉल्स लगा कर खाना बेचना लोगों को अच्छा तो नहीं लगता लेकिन इन सब ने ठान लिया है कि हम किसी के कहने के हिसाब से नहीं चलेंगे, और ये महिलाएं विश्वास के साथ आगे बढ़कर अपनी ज़िंदगियों को सवार रहीं है. श्रीनगर के इस महिला समूह ने बारबेक्यू और अन्य फास्ट फूड आइटम बेचने का काम संभाला है, जिसमें अब तक पुरुषों का वर्चस्व था. उन्होंने लंबे समय से चली आ रही धारणा को तोड़ा है कि महिलाएं यह काम नहीं कर सकतीं.
इन सात महिलाओं ने अपना एक स्वयं सहायता समूह (SHG) बनाया है जिसमें जुड़कर यह महिलाएं फ़ास्ट फ़ूड बेच रहीं है. रुमीना जो की इन सात महिलाओं में से एक है उन्होंने बताया कि- “मैं छह अन्य महिलाओं के साथ अपने जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए कुछ करना चाहती थी. फिर हम लोगों ने एक Self Help Group बनाया और अपने स्वयं के भोजन आउटलेट स्थापित करने के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार के ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से विभिन्न प्रकार की मछली पकाने का प्रशिक्षण लिया."
महिलाएं हो रही है आर्थिक सशक्त
अपना खाना पकाने का कोर्स पूरा करने के बाद, सात लोगों के समूह ने 2018 में प्रसिद्ध ट्यूलिप गार्डन में अपना फूड स्टॉल स्थापित किया जिन पर खाना खाकर इन महिलाओं को बहुत अच्छी प्रक्रियाएं मिल रहीं है. लोगों के इस रिएक्शन से प्रेरित होकर इन महिलाओं ने अपने खाद्य स्टालों में बारबेक्यू और अन्य फास्ट फूड आइटम शामिल करने का फैसला भी किया और मटन, चिकन और मछली बारबेक्यू पकाने का प्रशिक्षण लिया. अब ये महिलाएं सरकारी कार्यक्रमों के दौरान कश्मीर हाट और कुछ अन्य स्थानों पर अपने फ़ूड स्टॉल लगाती है.
इनके पास अपने उत्पादों को मार्केट करने और ऑनलाइन ऑर्डर लेने के लिए 'डल डेलिसीज़' नाम से एक फेसबुक पेज भी है जिस पर इनकी अच्छी खासी फ़ॉलॉइंग है. मीना (एक और सदस्य) ने कहा, "फेसबुक पर हमारे अच्छे फॉलोअर्स हैं और हमें ऑनलाइन और ऑफलाइन ऑर्डर भी मिलते हैं." समूह की एक अन्य महिला, गुलशन यूसुफ ने कहा कि- "इससे हमारा आर्थिक सशक्तिकरण हुआ है और अपने परिवार की देखभाल करने में मदद मिली है."
जिला प्रशासन ने सभी महिला समूहों को अपनी सफलता की कहानी लिखने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए श्रीनगर में उपायुक्त कार्यालय में उनके लिए एक फूड आउटलेट स्थापित करने के लिए जगह आवंटित करने का निर्णय भी लिया है. ये महिलाएं साबित कर रहीं है कि ठानने से सब कुछ मुमकिन है. लोग तो रोकेंगे ही, लेकिन अगर मन में आप काम लो लेकर निश्चित है तो कोई भी आप को रोक नहीं सकता.