MP के Gwalior जिले के मुगलपुरा की गीता ओझा और परिवार की कहानी मिसाल बन गई. गीता ने साबित कर दिया कि शहर ही नहीं बल्कि गांव में रह कर भी रोजगार कर सकते हैं.
पत्थर सिर पर उठाना छोड़े तो खुल गई गांव में डेयरी
Gwalior में रोजगार की तलाश में आई गीता ओझा अब मुरार जनपद के अपने ही गांव मुगलपुरा में रहने लगी.
Geeta ojha बताती है-"हम परिवार के साथ रोजगार के लिए ग्वालियर चले गए. जब कई समय बाद भी वहां ख़ास कमाई नहीं हुई तो हम अपने गांव आ गए. Self help group से जुड़ी. और गाय-भैंस पाली. छोटी सी Dairy से नई शुरुआत की. अब हमारी कमाई 45 से 50 हजार रुपए महीना होने लगी.समूह से जुड़कर हमारी ज़िंदगी ही बदल गई."
Murar Block Manager (BM) Devendra Shrivastava कहते हैं- "हमारे ब्लॉक में मुगलपुरा की जय माता दी SHG समूह की गीता ओझा की डेयरी सफल प्रयोग रहा. Ajeevika Mission के माध्यम से गीता को 1 लाख 20 हज़ार रुपए का लोन दिलवाया.इसी से पशुपालन कर रही.हम लगातार प्रोत्साहन कर रहे."
मुगलपुरा का चर्चित हुआ Milk Products
2019 के बाद कोरोना काल में ओझा परिवार परेशान रहा. स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के बाद पशु पालन से कमाई शुरू हुई.
Geeta आगे बताती है- "मुझे ख़ुशी है हमारे यहां तैयार dairy milk products अब आसपास भी बिकने लगे.लगातार डिमांड बढ़ने से गीता के पति को लोडिंग वाहन दिलवाया.इसी से दूध,घी सहित दूसरे प्रोडक्ट्स ले जाते."
Ajeevika Mission District Manager (DM) Rajesh Upadhyay बताते है-"समूह से जोड़ने के बाद Geeta को PMFME योजना के तहत 3 लाख 60 हज़ार रुपए के अनुदान लोन दिया गया .अब उनके डेयरी फॉर्म पर 14 भैंस और 3 गायें हैं."
Ajjevika Mission District Manager (DPM) Vineet Gupta कहते हैं- "जिले में self help group की महिलाओं ने अपनी नई पहचान बनाई.गीता ओझा ने आजीविका मिशन की योजनाओं का लाभ लिया और आत्मनिर्भर बनी."
मुगलपुरा गांव में यहां तक कि कलेक्टर DM Akashay Kumar Singh और SP Rajesh Chandel ने अपनी विजिट के दौरान भी गीता का हौसला बढ़ाया.