SHG दीदी ने बंज़र ज़मीन पर खींची मेहनत की लकीर

MP के Ashoknagar जिले में एक महिला ने अपने दम पर सामूहिक परिवार के आर्थिक संघर्ष को हरा दिया. घरेलु खेती की बंज़र ज़मीन पर मेहनत की लकीर खींच कर इलाके में मिसाल बन गई. कठिन रास्तों से इस महिला ने सफलता की नई कहानी लिखी.

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विवेक वर्द्धन श्रीवास्तव
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SHG दीदी ने बंज़र ज़मीन पर खींची मेहनत की लकीर

दूसरे समूह सदस्यों को ट्रेनिंग देते हुए नर्मदी ओझा (Image: Ravivar Vichar)

MP के Ashoknagar जिले के छोटे से गांव पिपरेसरा की रहने वाली नर्मदी ओझा ने self help group से जुड़कर अपनी आर्थिक स्थिति को पूरी तरह बदल लिया.किसी समय घर चलाने में परेशान नर्मदी दीदी अब सम्मान की ज़िंदगी ज़ी रहीं.

मजदूरी ढूंढने वाली अब पांच कारोबार की मालकिन

Ashoknagar जिले के पिपरेसरा गांव की नर्मदी ओझा चार साल पहले तक काम ढूंढते हुए परेशान थी.अब यही नर्मदी पांच कारोबार की शान से मालकिन है.

 नर्मदी ओझा बताती है-"मेरे ससुराल में 11 सदस्य थे.ज़मीन के नाम पर 10 एकड़ ज़मीन थी.लेकिन बारिश के पानी पर ही निर्भर होने से फसल से कमाई नहीं होती.हमने राधे राधे स्वयं सहायता समूह बनाया और फिर ट्रेनिंग लेकर रोजगार बढ़ाया.मुझे ख़ुशी है कि पहले 4 समूह बना कर village organization और फिर CLF की अध्यक्ष बनी. ट्रेनिंग लेकर सिलाई का काम सीखा.कमाई शुरू हुई. फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा."

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समूह सदस्यों की बैठक लेते हुए नर्मदी ओझा (Image: Ravivar Vichar)

नर्मदी दीदी की मेहनत देख Ajeevika Mission के अधिकारियों ने CRP बनाया. गांव-गांव जाकर समूह बनाए. नर्मदी ओझा की मेहनत देख उन्हें Cluster Level Federation (CLF) का अध्यक्ष भी बना दिया.

Rakhsha Village Organization (VO)और Khushi CLF की अध्यक्ष नर्मदी ओझा आगे बताती है-"मुझे शुरू में RF से 5 हजार का लोन मिला. अलग -अलग तरीके से Ajeevika Mission से लोन लिए. मैंने अपने खेत में सिंचाई की व्यवस्था की. Ashoknagar में ही कांच और एल्युमिनियम की दुकान खोली. अब मेरी इनकम हर महीने लगभग 40 से 45 हजार रुपए होने लगी.

खुद बनी लखपति और 500 महिलाओं को रोजगार

अशोकनगर की नर्मदी ओझा मेहनत से खुद लखपति की श्रेणी में आ गई. नर्मदी दीदी ने अपने क्लस्टर की महिलाओं को प्रोत्साहित कर 500 से ज्यादा महिलाओं को नए रोजगार से जोड़ा. Ashoknagar के Block Manager (BM) Amar Singh Ahirvar बताते हैं-"नर्मदी ओझा समूह से जुड़ने के पहले आर्थिक रूप से परेशान थी. उन्हें ट्रेनिंग दिलवाई. ग्राम संगठन और संकुल स्तरीय संगठन में अध्यक्ष बनाया.CRP के रूप में कई महिलाओं को प्रोत्साहित किया.आज कई जगह ट्रेनिंग देने भेजते हैं."

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ट्रेनिंग के बाद नर्मदी ओझा ने सिलाई करते हुए (Image: Ravivar Vichar) 

जिले में इसी क्लस्टर में गौशाला,मेडिकल स्टोर्स और दूसरे कारोबार से महिलाएं आत्मनिर्भर हो गईं.

Ajeevika Mission District Project Manager (DPM) Dinesh Sharma कहते हैं-"छोटे से गांव पिपरेसरा की नर्मदी ओझा ने SHG से जुड़कर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया. सेकेंड हैंड वाहन खरीदकर शुरुआत करने वाली दीदी को जिले में नई पहचान मिली. ख़ुशी है कि ख़ुशी क्लस्टर में लगभग 1 करोड़ रुपए का लेन देन समूह की महिलाएं कर रहीं."

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