शहर में जीवनशैली और रोज़गार के तो कई तौर तरीके है, पर क्या कभी सोचा है उन क्षेत्रों का क्या जो साल के आधे समय तो बर्फ में घिरे होते है? जिनके लिए फसल का केवल एक ही मौसम होता है और बेहद ठंड, 6 महीनों के लिए लोगों की गतिविधियों पर जैसे रोक लगा देती है. इन कठिनाइयों में रोज़गार बनाना मुश्किल नज़र आता है.
लेकिन कहते है न महिलाओं को हर मुश्किल कार्य को आसान करना आता है! तो बस इस ठंड को मात देने के लिए तैयार हो चुकी है हिमाचल की ये महिलाएं. Lahaul-Spiti tribal district के Tholang गांव की शांति देवी और अन्य महिलाएं इस गांव की आर्थिक स्थिति को मज़बूत करने के लिए मोज़े बुनने में व्यस्त हैं.
बुनाई के पारंपरिक ज्ञान के उपयोग से मिली आर्थिक समृद्धि
Lahaul के मोज़े घर में पाली जाने वाली भेड़ के ऊन से बनाए जा रहे हैं. जिले की हज़ारों महिलाएं, जो पहले अपने खेतों में काम करती थीं, आज पीढ़ियों से चले आ रहे बुनाई के पारंपरिक ज्ञान का उपयोग कर आर्थिक समृद्धि की ओर बढ़ रही हैं. इस गतिविधि ने महिलाओं को Panchayati Raj विभाग के मार्गदर्शन में 10 से 25 महिलाओं वाले self help group बनाने के लिए एक साथ भी लाया गया.
शांति कहती हैं- “मैं 40 साल से ऐसा कर रही हूं, शुरुआत में यह सिर्फ एक शौक था. हलाकि, जब मुझे मांग का एहसास हुआ, तो मैंने इन मोज़ों को स्थानीय बाजार में बेचना शुरू कर दिया.”
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Atal Tunnel के खुलने से हुई बिक्री दोगुनी
2020 में Atal Tunnel के खुलने से क्षेत्र की tourism में भी वृद्धि हुई, जो पहले भारी बर्फबारी के कारण November से April तक चलने लायक नहीं था. Tholang की महिलाओं के अनुसार, 2020 से पहले, वे अपने हाथ से बुने हुए मोज़े जिले के बाहर बिक्री के लिए भेजते थे. सुरंग खुलने के बाद, वे उन्हें स्थानीय दुकानों, ढाबों (सड़क किनारे भोजनालयों) और होटलों में बेचते नज़र आई. शांति ने यह भी बताया कि सुरंग खुलने के बाद उनकी बिक्री दोगुनी हो गई.
इन महिलाओं के काम की सराहना करते हुए, handicrafts और handloom निगम देशभर में आयोजित होने वाली अपनी प्रदर्शनियों और मेलों में उनके उत्पादों को बढ़ावा देता है. इस तरह, यह GI-tag Lahaul मौज़े की बाजार में नज़र आने के लिए भी सुधार करने का प्रयास करता है. इन उत्पादों को Amazon जैसे online platforms पर उपलब्ध कराने के लिए प्रयास जारी हैं.
Free training camp से हुआ स्वतंत्र, सशक्त और आर्थिक रूप से सफल भविष्य
राज्य सरकार कारीगरों को नए design सिखाने के लिए free training camp आयोजित करती है, उन्हें कई मेलों और प्रदर्शनियों में ले जाया जाता है और उनके उत्पादों का व्यापक प्रचार किया जाता है. जब महिलाएं निगम के मेलों में भाग लेने के लिए यात्रा करती हैं, तो सरकार उनके यात्रा का खर्चा भी उठाती है. इस बिक्री से होने वाली पूरी आय भी इन महिलाओं को ही मिलती है. सरकार इन महिलाओं की सफलता में भाग लेने और उन्हें स्वतंत्र, सशक्त और आर्थिक रूप से सफल भविष्य में मदद करने के लिए बड़े कदम उठा रही है.