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Balaghat जिले के सिलगी गांव में self help group की महिलाओं ने forest department की मदद से बांस के पौधे लगा दिए. इनकी देखभाल भी खुद कर रहीं. लगभग 4 साल से इन पौधों से अब उम्मीद बंधने लगी.
MP के Balaghat जिले के छोटे से गांव सिलगी में SHG की सदस्य महिलाओं सरकारी बंज़र ज़मीन को हराभरा कर दिया. सिलगी गांव की सरकारी ज़मीन पर लंबे समय से हो रहे encroachment को हटाकर SHG को सौंप दिया.
सिलगी की मां शेरावाली ग्राम संगठन (Village Organization) की अध्यक्ष लक्ष्मी तुरकर कहती है- "हमने forest department की मदद से इस ज़मीन पर साढ़े 5 हजार से अधिक बांस के बीज रोपे. कुछ समय बाद जो पौधे पनप नहीं सके उनकी जगह एक हजार पौधे और लगाए. ये लगभग 6 हजार बांस के पौधे हमारे लिए कमाई का जरिया बन रहे. अगले साल तक हम सदस्य इन बांस को बेचने लग जाएंगे."
बांस की झाड़ियों के समूह जो बनेगे कमाई का साधन (Image: Ravivar Vichar)
बालघाट के सिलगी गांव में forest department ने बांस के पौधे उपलब्ध करवाए. MGNREGA yojana के तहत इन महिलाओं को अलग से रोजगार भी मिल गया.
इसी समूह की इमलेश्वरी गौतम और समिता कुसरे बताती हैं- "हमें आजीविका मिशन ने बड़े प्रोजेक्ट से जोड़ा. पौधों को बचाने के लिए हमने समूह की बचत में से10-10 हजार रुपए मिला कर फैंसिंग भी करवाई. इससे पौधे सुरक्षित हो गए.
सिलगी के इस ज़मीन पर लगाए गए bamboos की ख़ास किस्म को लगाया गया. Ajeevika Mission Parswara के BM Sandeep Chaursia बताते हैं-"इस बगीचे में कटंग, टुंडा और बालकुआ किस्म के बांस लगाए. एक साल बाद समूह की महिलाएं इसे बाजार और फॉरेस्ट डिपो में बेच सकती है. लगभग 25 एकड़ ज़मीन पर से encroachment प्रशासन ने हटाया." यह बांस 15 से 20 फीट की लंबाई के हो चुके हैं."
बांस के पौधों की देभाल करते समूह सदस्य और अन्य (Image: Ravivar Vichar)
इसके अलावा यह ग्राम संगठन कई तरह के अलग रोजगार से भी जुड़ा हुआ है. Ajeevika Mission के District Project Manager Mukesh Bisen बताते हैं-"यह बालाघाट जिले का success project होगा. महिलाओं bamboos को बचने के लिए खुद फैंसिंग की. इस काम में 5 SHG से जुड़ीं लगभग 65 महिलाओं को रोजगार मिला.इससे महिलाओं को अधिक कमाई होगी."