ओडिशा (Odisha) के रहने वाले संतोष मिश्रा मशरुम खेती कर न सिर्फ मशरुम मिलियनेयर बने (mushroom millionaire Santosh Mishra), बल्कि वह अपने समुदाय की महिलाओं के लिए आशा और सशक्तिकरण का ज़रिया भी बन गए. सफलता की यह यात्रा साल 1989 में 36 रुपये के मामूली निवेश के साथ शुरू हुई थी.
36 रूपए से हुई entrepreneurship journey की शुरुआत
ग्रेजुएशन के बाद संतोष मिश्रा अपनी पढ़ाई जारी न रख सके. भुवनेश्वर में ओडिशा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (OUAT) में मशरूम खेती प्रशिक्षण (mushroom farming training) कार्यक्रम में हिस्सा लिया. उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में जो 36 रुपये बचाए थे, उससे अपना काम शुरू करने का प्लान बनाया.
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56 साल के संतोष याद करते हैं, "मैंने उस पैसे से OUAT से ऑयस्टर मशरूम स्पॉन (बीज) की चार बोतलें खरीदीं."
एग्री-बिज़नेस सीख दिया मशरूम उद्यमिता को बढ़ावा
उच्च नमी, फंगल कंटैमिनेशन और अपर्याप्त रोशनी ने फसल को खराब कर दिया. संतोष कहते हैं, "मैं OUAT गया और वहां के वैज्ञानिकों से इस मामले पर चर्चा की, जिन्होंने मेरी गलतियां बताईं और अगली बार उनसे कैसे बचा जाए, इस पर मेरा मार्गदर्शन किया." मशरूम उद्यमिता (mushroom entrepreneurship) प्रौद्योगिकी से जुड़ा एग्री बिज़नेस है, जिसकी सफलता के लिए सही प्रशिक्षण ज़रूरी है.
उनकी लगन और मेहनत जल्द ही रंग लाई और उन्हें मशरूम की खेती में सफलता मिली. इस सफलता को अपने तक सीमित रखने के बजाय, संतोष ने अपने ज्ञान को साझा करने और मशरूम की खेती के कौशल के साथ दूसरों, विशेषकर महिलाओं को सशक्त बनाने का फैसला किया.
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spawn production-cum-training centre किया शुरू
उन्होंने अपने गांव में एक स्पॉन उत्पादन-व-प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया (mushroom Production and training center) है जहां वह दो किस्मों के बीज तैयार करते हैं - धान के भूसे के मशरूम (वोल्वेरिएला वोल्वेसिया) और ऑयस्टर मशरूम. संतोष अब मशरूम के इस्तेमाल से वैल्यू एडेड प्रोडक्ट्स बनाना चाहते है.
इस प्रशिक्षण केंद्र में, वह पहले से ही अचार, पापड़, वड़ी (सूखे पकौड़े) और सूप पाउडर तैयार करने के लिए मशरूम का प्रसंस्करण कर रहे हैं. वह कहते हैं, ''मैं प्रोडक्शन फैसिलिटी शुरू करने के लिए 2 करोड़ रुपये का ऋण ले रहा हूं, जहां हम ऑयस्टर मशरूम की प्रोसेसिंग कर सकेंगे."
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मिशन शक्ति से जुड़ी महिलाओं को दी ट्रेनिंग
"मैंने एक लाख से ज़्यादा लोगों को मुफ्त में प्रशिक्षण दिया है, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और गरीब सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के लोग हैं." संतोष ने ओडिशा सरकार के मिशन शक्ति के तहत 50,000 से अधिक स्वयं सहयता सहायता (SHGs trained in mushroom farming) के सदस्यों को प्रशिक्षित किया है, जो महिलाओं को आजीविका सहायता प्रदान करता है.
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जैसे ही महिलाओं ने मशरूम की खेती को अपनाया, समुदाय में बदलाव की लहर दौड़ गई. एक समय साधारण रहने वाला मशरूम, आर्थिक सशक्तिकरण का प्रतीक बन गया. जो महिलाएं पहले पारंपरिक भूमिकाओं तक ही सीमित थीं, उन्होंने खुद को संपन्न कृषि उद्यम में सक्रिय भागीदार पाया.
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