उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh) के बस्ती (Basti) जिले में उगाए जा रहे मशरूम (Mashroom) की डिमांड लगातार बढ़ रही. स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) की महिलाएं अब मार्केटिंग पर फोकस कर रहीं.
मशरूम वाला गांव पुरैना ख़ास
बस्ती (Basti) ज़िले के हैरया ब्लॉक का पुरैना ख़ास (Purena Khas) गांव अब मशरूम (Mashroom) वाला गांव की पहचान भी रखने लगा. यहां के सरस्वती ग्राम संगठन (VO) से जुड़े सेल्फ हेल्प ग्रुप (Self Help Group) की महिलाओं ने मशरूम की खेती कर आत्मनिर्भर हो गईं.
SHG की शकुंतला देवी बताती है- "हमने 10 दिन की ट्रेनिंग ली. मैंने अपनी साथियों के साथ यह खेती शुरू की. शुरू में परेशानी आई, लेकिन अब 40 से 50 दिन में अच्छा उत्पादन होने लगा. हमारी अच्छी कमाई होने लगी हम सालाना 2 लाख रुपए बचा रहे."
रूम में स्पेशल ट्रेम्प्रेचर पर मशरूम की खेती की जाती (Images: Ravivar Vichar)
इस ग्राम संगठन में 4 से ज्यादा समूह हैं, जो मशरूम की खेती से जुड़ें हैं. जिला आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) लगातार महिलाओं को प्रमोट कर रहा.
झोपड़ियों को किया खास तरह से तैयार
गांव के बाहर Self Help Group की महिलाओं ने मशरूम को उगने के लिए ख़ास तरह की झोंपड़ियां तैयार की. इसमें तापमान और जगह का पूरा ध्यान रखा, जिससे ज्यादा से ज्यादा उत्पादन हो सके.
हरैया ब्लॉक के ब्लॉक मिशन मैनेजर (BMM) अतुल कुमार गिरी ने बताया- "यहां महिलाओं द्वारा की जा रही मशरूम की खेती को सफलता मिली है. यहां का मशरूम लखनऊ, फैज़ाबाद, गोरखपुर सहित बस्ती मुख्यालय में बेचा जा रहा."
समूह की सदस्य ने बताया - "जैविक माध्यम से हम मशरुम की खेती करेंगे. पहली बार खेती शुरू करने पर द्वारा बीस हजार की सब्सिडी मिली थी. वहीं इस बार 50 हजार की सब्सिडी सरकार द्वारा मिली."
बस्ती (Basti) के जिला मिशन प्रबंधक (DMM) कपिल कुमार (Kapil Kumar) ने बताया- "यहां महिलाएं गीले और सूखे दोनों तरह के मशरूम पैक कर बेच रहीं हैं. जिले में मशरूम की खेती से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा सका."