जैविक खेती से बदल रही Tribal SHG की तस्वीर

MP के JHABUA जिले में छोटे किसान भी जैविक खेती को अपनाने लगे. नतीजा यह हुआ कि SHG से जुडी महिलाओं और उनके परिवारों की तस्वीर बदल रही. जिले के ही भूरा डाबरा गांव की रहने वाली आदिवासी महिला की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. 

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जैविक खेती से बदल रही Tribal SHG

Image- Ravivar vichar

MP के Jhabua जिले के भूरा डाबरा गांव की संगीता राठौड़ self help group (tribal SHG) से जुड़ने से पहले अपने छोटे से ढाई बीघा खेत में खेती करती. मेहनत के बाद भी उत्पादन नहीं होने से निराश थी. कुछ सालों से Organic Farming करने से सब कुछ बदल गया.

Organic Farming से टमाटर, भिंडी की बंपर पैदावार   

Jhabua Rama block के अंतर्गत Bhura Dabra गांव की संगीता राठौड़ ने SHG से जुड़कर अपनी मेहनत को साबित कर दिया. संगीता राठौड़ बताती है- "मेरे पास कुल ढाई बीघा ज़मीन भी नहीं है. शुरू से सब्जियों में भिंडी लगाती. खाद डालने के बाद भी फसल नहीं मिलती. मैं रामदेव स्वयं सहायता समूह से जुड़ी. मुझे ट्रेनिंग दिलवाई गयी. जैविक खेती करना शुरू किया. अब मेरे खेत में टमाटर, भिंडी, बालौर की सब्जियां लगाई. अब मेरे खेत में बंपर पैदावार होने लगी है . मुझे रोज़ लगभग 2 हजार रुपए की कमाई होती है."

संगीता के खेत को देखने दूसरे समूह के सदस्य भी आने लगे.

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Image: Ravivar Vichar

आदिवासी इलाकों में Drip Irrigation का बढ़ा क्रेज़ 

झाबुआ जिले के ठेठ आदिवासी इलाकों में उगाई जा रही ऑर्गेनिक सब्जियों की शहरों में भी डिमांड बढ़ गई. सुनीता आगे बताती है- "SHG से CCL द्वारा मुझे पहले 10 हजार रुपए फिर 25 हजार रुपए और फिर  50 हजार रुपए तक लोन की सहायता मिली. मैंने खेत में ड्रिप और पन्नी लगाकर खेती कर रही."

झाबुआ के रामा block की Block Manager (BM) Asha Sharma बताती हैं -"इस इलाके गठित Self Help Group की महिलाएं training से प्रोत्साहित हुईं.सुनीता राठौड़ के खेत में ही रोज़ 4 करेट टमाटर, 2 करेट भिंडी, एक करेट बालौर की सब्जियां खेत से निकल रहीं. यह सब जैविक खेती के प्रयोग से हो रहा. हम लगातार विजिट कर गाइड कर रहे."

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समूह सदस्य संयता की काउंसलिंग करती BM आशा शर्मा  (Image: Ravivar Vichar)     

इस जिले में आदिवासी किसान दीदी भी drip irrigation का उपयोग कर रहीं. Drip Irrigation का क्रेज़ बढ़ रहा. जिले के प्रभारी DPM और एडिशनल CEO जिला पंचायत दिनेश वर्मा जैविक खेती पर जोर दे रहे. इसके अलावा दूसरे काम को भी बढ़ावा दिया जा रहा.झाबुआ जिले की CEO ZP Rekha Rathore कहती हैं- "जिले में कड़कनाथ पालन और गुड़िया निर्माण के बाद आदिवासी समूह जैविक खेती से आत्मनिर्भर हो रहे."                   

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