जलवायु परिवर्तन से समुदाय हो रहे प्रभावित
जलवायु परिवर्तन वैश्विक स्तर पर समुदायों को प्रभावित कर रहा है (What are the impacts of climate change?). समुद्र के बढ़ते स्तर से तटीय क्षेत्रों को खतरा होता है, मौसम के पैटर्न में बदलाव से खेती को नुक्सान हो रहा है, स्वास्थ्य पर गलत प्रभाव पड़ता है, जैव विविधता का नुकसान होता है, पानी की कमी, घटते संसाधन, और लोगों का विस्थापन- ये सब आर्थिक असमानताओं (economic inequalities) को बढ़ा रहे हैं. कमजोर समुदायों को इन प्रभावों का खामियाजा भुगतना पड़ता है (effect of climate change on communities).
अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ रहा जलवायु परिवर्तन
जलवायु परिवर्तन का अर्थव्यवस्था (climate change affecting economy) पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन के प्रभाव बदतर होते जा रहे हैं, वार्षिक लागत (costs of climate change) आसमान छू रही है. 2030 तक, ये लागत सालाना $447 और $894 बिलियन के बीच पहुंच सकती है. ये खर्च विकासशील देशों में 2050 तक $1.7 से $2.6 ट्रिलियन तक बढ़ सकता है. विकासशील देशों में समुदाय जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटने के लिए तैयार नहीं हैं. जिस वजह से 'नुकसान और क्षति' (loss and damage) होने का खतरा बढ़ जाता है.
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जलवायु परिवर्तन से हो रहे नुक्सानों से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र (UN) सम्मेलन COP27 ने एक समर्पित कोष (climate change fund) बनाने पर सहमति दी थी. दिसंबर में COP28 से पहले इस फंड को शुरू करने के लिए एक समिति का गठन किया गया था. 'लॉस एंड डैमेज फंड' (loss and damage fund) के तहत सामुदायिक विंडो को शामिल करने की मांग है, जिससे समुदायों के लिए धन तक सीधी पहुंच संभव हो सकेगी.
सामुदायिक विंडो क्या है और इसकी ज़रुरत क्यों है?
कम्युनिटी विंडो (community window in Hindi) यह सुनिश्चित करने का एक तरीका है कि फंड स्थानीय स्तर तक पहुंचे, स्थानीय जरूरतों को पूरा करे और स्केलेबल समाधानों का परीक्षण आसानी से हो सके.
सामुदायिक विंडो की संरचना करने का एक तरीका राष्ट्रीय या वैश्विक बीचवानों को दूर करते हुए सीधे लोकल लीडर्स (local leaders) या संगठनों को ग्रांट (grant) प्रदान करना है. यह प्लान स्थानीय नेतृत्व वाली कार्रवाई के सिद्धांतों के अनुरूप है, जिससे स्थानीय समूहों को जलवायु वित्त (climate finance) पर कंट्रोल मिलता है.
दो फ़ंडिंग विंडो उदाहरण के रूप में सामने आई हैं जो सामुदायिक ज़रूरतों, प्राथमिकताओं और क्षमताओं को अहमियत देती हैं:
- द एशियन डेवलपमेंट बैंक क्लाइमेट कम्युनिटी रेसिलिएंस पार्टनरशिप प्रोग्राम : यह कार्यक्रम स्थानीय स्तर पर गरीबी, लिंग और जलवायु परिवर्तन के जुड़ाव पर ध्यान देता है. यह समुदायों को सीधे वित्त पहुंचाने पर ज़ोर देता है.
- ग्लोबल एनवायरनमेंट फैसिलिटी स्मॉल ग्रांट्स प्रोग्राम : 1992 से, इस कार्यक्रम ने जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन और भूमि उपयोग परियोजनाओं के लिए छोटे अनुदान दिए हैं. यह स्थानीय विशेषज्ञता और प्राथमिकताओं से जुड़ी परियोजनाओं को फंड करके समुदायों को सशक्त बनाता है.
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स्थानीय स्तर पर संचालित सामुदायिक विंडो के लाभ
- समावेशिता: कम्युनिटी विंडो स्थानीय स्तर पर जलवायु वित्त को आसान बनाती है, समानता को बढ़ावा देती है और स्थानीय क्षमताओं का सही इस्तेमाल करती है (importance of community window).
- स्थानीय ज़रूरतों की पूर्ती: स्थानीय ज़रूरतों को पूरा करने के लिए, कम्युनिटी ओनरशिप, कैपेसिटी बिल्डिंग और खरीदारी पर ज़ोर देते हैं.
- सामुदायिक पहलों को बढ़ावा: समुदाय के नेतृत्व वाली पहलों को बढ़ाया और दोहराया जा सकता है, जिससे व्यापक जलवायु लचीलेपन में योगदान मिलेगा.
- SHG जैसे लोकल समूहों को बढ़ावा: स्थानीय समूहों जैसे गैर-सरकारी संगठनों (NGO), महिला स्वयं सहायता समूहों (women Self Help Groups) और स्थानीय सरकारों (local government) जलवायु फंड (climate fund) तक पहुंचने और इसके इस्तेमाल से जुड़े अहम फैसले लेने में सक्षम बनेंगे.
क्लाइमेट चेंज से होने वाली परेशानियां समुदायों के विकास में बाधा बनती हैं. इसका समाधान भी इन्हीं समुदायों के पास है. स्वयं सहायता समूहों (SHG) जैसे ग्राम स्तरीय संगठन (CBO) इन समाधानों को खोजने से लेकर इन्हें बेहतर तरीके से लागू करने तक अहम भूमिका निभा सकते हैं. उनके नेत्तृत्व के ज़रिये 'लॉस एंड डैमेज फंड' का लक्ष्य पूरा हो सकेगा.