160 की.मी. का प्रवास तय कर पहुंची भारत की सबसे बड़ी प्रदर्शनी में

मुझे और मेरी सारी शेतकरी मैत्रीणों को भारत की सबसे बड़ी प्रदर्शिनी पुणे कृषि प्रदर्शिनी में जाने का मौका मिला. पुणे हमारी तालुका से 160 किलोमीटर दूर था. सारी महिलाओं का आत्मविश्वास इतना था की हर रुकावट को पार करने के लिए हिम्मत बन गयी.

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रिसिका जोशी
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"लाखों लोगों की भीड़... हर जगह चहल पहल...समझने और सीखने के लिए सब आतुर... मैं बात कर रहीं हूं भारत की सबसे बड़ी कृषि प्रदर्शनी की. मैंने पहले कभी भी इतनी बड़ी जगह नहीं देखी थी. हां, इससे पहले हम अपनी तालुका के आसपास की कृषि प्रदर्शनियों में ज़रुर गए थे, लेकिन इतनी विशाल जगह पर आने का मौका हमें पहली बार मिला था. मेरा नाम है, रेणुका जाधव. मै करमाला तालुका, कुंभरगांव की कुंभरगांव कृषि किसान समूह की एक सदस्य हूं.

पुणे के सबसे बड़ी शेतकरी प्रदर्शनी में जाने का मिला मौका 

कुछ समय पहले मुझे और मेरी सारी शेतकरी मैत्रीणों को पुणे की कृषि प्रदर्शनी, जो कि भारत की सबसे बड़ी प्रदर्शनी है, में जाने का मौका मिला. मुझे कुछ दिनों पहले ही यहाँ की जानकारी मिली थी. बस एक बात जो हम सब के दिल और दिमाग में घर कर बैठी थी वो थी कि पुणे हमारी तालुका से 160 किलोमीटर दूर था.

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लेकिन फिर भी हम सबको यह बात पता था कि इस प्रदर्शनी में जाकर हमें इतना कुछ सीखने को मिलेगा जिसकी कोई हद नहीं! तो हम गए...बिना ये परवाह किये कि इतनी दूर कैसे जाएंगे? इतने लम्बे सफर को तय करने में जो परेशानियां आएंगी उन्हें कैसे संभालेंगे? बस इतना पता था कि पुणे की इस प्रदर्शनी में पहुंचना है. और हमनें ऐसा ही किया!

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सारी महिलाओं का आत्मविश्वास इतना था कि हर बाधा और रुकावट को पार करने के लिए हिम्मत बन गया. और जब वहां पहुंचे, तो इतनी सुंदर, विशाल, और लोगों से भरी प्रदर्शनी देखकर हम सब की आखों में ख़ुशी के आंसुओं के साथ कामियाबी की चमक थी.

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इस प्रदर्शनी में हमें सब कुछ देखने को मिला... वो भाग और अनुभाग भी जिनके बारे में हमनें कभी सुना ही नहीं था, जैसे- मशीनरी और खाद बीज के अनुभाग. हम इस प्रदर्शनी का कोई भी भाग छोड़ना नहीं चाहते थे. हर एक चीज़ को सीख लेना चाहते थे. वापस आने के बाद हम चाहते थे कि उस प्रदर्शनी की हर बात हमें याद रहे.

इस वर्ष पहली बार हमनें मशीनरी, जैविक एवं लघु उद्योगों के हर स्टॉल का दौरा किया था. हम किसी चीज़ से डरे नहीं. उस प्रदर्शनी में हमें हर स्टॉल पर सम्मानपूर्वक बैठाया गया और हर काम की पूरी तरह से जानकारी दी गयी. हम ये सब सीखकर इतना खुश हो रहे थे कि उस ख़ुशी को शब्दों में बयां करना मुश्किल है. स्टॉल्स पर जो लोग थे वो भी हमारी उत्सुकता देखकर बेहद खुश हुए. उन लोगों ने हमारे साथ तसवीरें भी ली.

हमें जब Paani foundation के Satyamev jayate Farmer's Cup से खेती के बारे में पता पड़ा तो हमनें digital farming school के माध्यम से उर्वरक, बीज, SOP के बारे में बहुत कुछ समझ लिया था और इसीलिए इस प्रदर्शनी में हमें खेती के बारे में काफी कुछ जानकारी पहले से थी. इसलिए मैं हर स्टॉल पर पूरे आत्मविश्वास के साथ उनसे सवाल पूछ रही थी और चीज़ें समझ रही थी. हम सारी महिलाओं को लोग आज experimental farmer's के समझते है और इस बात पर हमें गर्व है.

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हालांकि हमारीं इच्छा नहीं थी उस जगह से घर वापस आने कि लेकिन फिर भी मन भारी कर हमें वापस आना पड़ा. निकलते वक़्त हमनें बहुत से vendors के number भी ले लिए. कारण था कि हमें अपना business आगे बढ़ाना है. अब हम सारी महिला किसान मिलकर तेल घना यंत्र, नारियल फोड़ने का यंत्र जैसी कई मशीनें खरीदने के लिए तैयार है और हमनें पैसा भी इक्कठा करना शुरू कर दिया है. हम सब लोग इतना खुश थे, इतनी सारी बातें कर रहे थे कि कब करमाला पहुंच गए हमें पता ही नहीं चला.

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