अनेकता में एकता की मिसाल बनते 2 प्रतिद्वंदी गटों की कहानी

परिवार सिर्फ खून के रिश्तों से नहीं होता, बल्कि साथ में काम करने वाले लोगों से भी बन जाता है. ये साबित कर दिया इन दो गटों की महिलाओं ने, जो आपसी मतभेदों के कारण अलग हो गई थी.

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रिसिका जोशी
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चाहे कितने भी मतभेद क्यों न हो, अगर परिवार पर मुसीबत आती है तो, सदस्य अपनी हर नाराज़गी भूलकर एक हो जाते हैं. परिवार सिर्फ खून के रिश्तों से नहीं होता, बल्कि साथ में काम करने वाले लोगों से भी बन जाता है. ये साबित कर दिया इन दो गटों की महिलाओं ने, जो आपसी मतभेदों के कारण अलग हो गई थी.

Paani foundation के सत्यमेव जयते फार्मर कप की कहानी

कहानी है एक दूसरे के कट्टर प्रतिद्वन्द्वी बन चुके 2 गटों की. खाटव तालुका के पंगारखेल गांव की महिला किसानों का समूह लगातार मतभेदों के कारण इस साल दो गटों में बंट गया था- "सुयोग महिला समूह एवं ज्योतिर्लिंग महिला समूह" इन दोनों स्वयं सहायता समूहों (Self help groups) ने इस साल पानी फाउंडेशन (Paani foundation) के "Satyamev Jayate Farmer's Cup 2023" में प्रतियोगी के तौर पर हिस्सा लिया.

सुयोग महिला समूह ने तय किया कि वे घेवड़ा (राजमा) उगाएंगे. उनके तय किए मुताबिक़ फसल शुरुआत में अच्छी भी थी. पूरा समूह बेहद खुश था. लेकिन कहते है ना “समय से पहले और किस्मत से ज़्यादा किसी को नहीं मिलता”. कुछ ऐसा ही हुआ इन महिलाओं के साथ भी. बारिश ना होने के कारण फसल के सारे फूल झड़ गए. समूह की कई महिलाओं की फसल बर्बाद हो गई.

एक समूह में जहां सारी महिलाएं फसल बर्बाद होने के कारण परेशान थी वही दूसरे समूह, ज्योतिर्लिंग किसान समूह की सास मुक्ता जगताप को अचानक अस्पताल में भर्ती करना पड़ा. जब यह बात सुयोग महिला समूह की ताइयों को पता पड़ी तो वे अपनी परेशानी भूल गई और उनकी मित्र के लिए चिंतित हो गई.

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SHG महिलाओं ने मतभेद भूल की एक दुसरे की मदद

मतभेद भुला दिए और सब की सब अस्पताल जा पहुंची. उनकी एक प्रिय मित्र जो उनके परिवार का हिस्सा थी, वह बीमार जो थी. समस्या सिर्फ ये नहीं थी, जगताप ताई के बेटे ने बताया कि उनकी मटर की फसल यदि अभी नहीं काटी गई तो मटर सफ़ेद पड़ जाएगी.

जब ज्योतिर्लिंग किसान समूह की फसलें भी बर्बाद होने की कगार पर आ गयी तब चिंता और भी ज़्यादा गहन हो गयी. सुयोग समूह की ताइयों से उनकी मित्रों की यह हालत देखी नहीं गयी और वे मदद करने के लिए आगे आ गई. सुयोग समूह की 11 महिलाओं ने मिलकर चार से पांच घंटे में एक एकड़ मटर की फली काट ली.

उन्ही में से एक और किसान, संगीता जगताप ने paani foundation को बताते हुए कहा- “अगर हमारे कारण किसी का नुक्सान टल सकता है तो हमारे लिए ये ज़्यादा महत्वपूर्ण है और इसलिए सभी ने मिलकर मुक्ता ताई की मदद करने का फैसला किया. किसान को बस मानसिक तौर पर मदद की जरूरत है. एक-दूसरे के लिए खड़े होने और हिम्मत देने का मोल ही लाखों के बराबर है. पहले हम इस भावना के साथ काम कर रहे थे कि हम एक-दूसरे के प्रतिस्पर्धी हैं. लेकिन जब ये सारी घटनाएं एक साथ हुई तो हमनें पुरानी सारी बातों पर मिट्टी डालकर एक साथ आने का फैसला कर लिया. अब गांव के दोनों समूह एक-दूसरे की मदद के लिए तैयार हैं.

Paani Foundation के Satyamev jayate farmer cup में ऐसी बहुत सी कहानियां मिल जाएंगी जिन्हें सुनकर मन खुश हो जाता है. अपनी एकजुटता को बढ़ाकर न जाने कितनी महिलाओं ने इस कप में नए परिवार तैयार कर लिए. Ravivar Vichar सलाम करता है इनकी गाड़ मित्रता को जिसके कारण आज 2 प्रतिद्वन्द्वी गट दोबारा एक हो सके.

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