एक परिवार की कीमत क्या होती है वो समझना है तो उस व्यक्ति से जाकर पूछो जिसने कभी अपनी माँ को नहीं देखा या पिता के साथ बैठ कर सुबह की चाय नहीं पी. हम अक्सर अपने परिवारों को टालने लगते है, क्योंकि हम जानते है वो हमारे साथ है. लेकिन ज़रा एक बार सोचिए उन लोगों के बारे में जिन्हे काम से थक कर घर जाने के बाद मां-पापा की आवाज ही सुनने ना मिले!
Paani foundation के Satyamev Jayate Farmer's Cup में दिखी महिलाओं की उमंग
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एक ऐसी ही कहानी है धरुर अंजनडोह गांव के एक शेतकरी गट की. (Paani Foundation) पानी फाउंडेशन के सत्यमेव जयते फार्मर्स कप (Satyamev Jayate Farmer's Cup) को जीतने के लिए सब महिलाओं ने मेहनत करना शुरू कर दी. सारी महिलाओं ने मिलकर अपनी खेती को अच्छा करने के लिए पूरी जान लगाने की ठान ली थी. साथ में काम करते करते सारी ताइयां एक दुसरे से इतना जुड़ गए कि उन सबने एक दुसरे को अपना परिवार मानना शुरू कर दिया.
खेती बढ़िया चल ही रही थी कि तभी मौका आया अधिक मास का और सारी महिलाएं अपने माहेर (माइका) जाने के लिए बेहद उत्साहित हो गयी. (Maharashtra paani foundation) महाराष्ट्र में इस महीने में 'धोंडे जेवण' (माँ के घर पर होने वाला एक celebration) का बहुत महत्व है. लेकिन यहाँ पर महिलाओं के सामने एक सवाल खड़ा हो गया कि खेती को देखे या घर जाए.
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बस फिर क्या था उन सबने दिन तय लिए और उस हिसाब से माहेर जाने का तय किया जिससे हर महिला (Farmer's group in maharashtra) को मौका मिले. सब बेहद खुश थी अपनी माहेर में हुई हर बात अपनी बहनों के साथ साजा करना चाहती थी. एक जगह बैठकर क्या किया, क्या हुआ, कितने तौहफे मिले, इन सबकी चर्चा करने लगी. सब बेहद खुश थी और हो भी क्यों ना, अपने माहेर के लाड-प्यार को साजा जो कर रही थी.
लेकिन उन सब में एक महिला (Self help groups in maharashtra) थी जिसकी आखों में आसूं थे. इतनी ख़ुशी कि बात में अगर आपकी एक सहेली रो रही हो तो दिल बैठ सा जाता है. जब उनसे पूछा तो पता चला कि लता ताई का माहेर नहीं है. ना ही उनकी आई है ना बाबा और ना ही कोई भाई. जब सबको ये पता पड़ा तो सब बहुत परेशान हो गए. सारी बातें जैसी थम गई और महिलाओं को बुरा लगने लगा. लता ताई रो रही थी और उनका दुःख देखकर सबकी आखों में आसूं आ गए थे.
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अपनी सदस्य महिला के लिए तैयार किया खुद का परिवार
जब सब अपने माहेर की बातें कर रहे थे तो किसी ने सोचा भी नहीं था की उनमें से एक का कोई माइका ही नहीं था. सारी महिलाओं को बहुत बुरा लगा और उन सब ने ठान लिया की वे लता ताई का दुःख और नहीं देख सकती. उन लोगों ने ताई को surprise देने के बारे में सोचा और अपनी बहन के लिए खुद मिलकर 'धोंडे जेवण' करने का फैसला किया.
सुबह उठकर सबने तैयार की खाना बनाने की, लता ताई को न्यौता दिया और अपने पूरे परिवार के साथ आने को कहा. जब लता ताई को यह बात पता पड़ी तो उनके आंसू रोके नहीं रुक रहे थे. अपने पूरे परिवार के लिए ये प्यार और सराहना देखकर वह बेहद खुश हो गई और उनका एक नया परिवार तैयार हुआ जो आज बेहतरीन खेती कर आगे बढ़ रहा है और अपनी आजीविका तैयार कर सक्षम बन रहा है.