स्मार्टफोन वाली आजी सिखा रहीं ग्रुप फार्मिंग के तरीके

75 की उम्र में विमलाबाई पाटिल स्मार्टफोन यूज़ करना सीखना चाहती है, ताकि कुछ नया सीखने का कोई मौका नहीं छूटे. खेती से जुड़ी हर बात जानने के लिए उत्सुक रहने वाली आजी विमलाबाई अमलनेर के गडखांब गांव में किसानों के लिए सफलता के बीज बो रही है.

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मिस्बाह
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woman farmer learnt smartphone during Paani Foundation farmer cup

Image: Ravivar Vichar

"कोणी यूट्यूब बघत कोणी व्हाट्सएप बघत, हे सगड़यांचा येचा वर येत, तर अपण आपल्याला पण घ्यायचच जी"

(लोग फोन पर व्हाट्सएप और यूट्यूब का इस्तेमाल करते हैं, अगर हर कोई ऐसा कर सकता है तो मैं क्यों नहीं?)

Satyamev Jayate Farmer Cup ट्रेनिंग में लिया हिस्सा

75 की उम्र में विमलाबाई पाटिल स्मार्टफोन यूज़ करना सीखना चाहती है, ताकि कुछ नया सीखने का कोई मौका नहीं छूटे. खेती से जुड़ी हर बात जानने के लिए उत्सुक रहने वाली आजी विमलाबाई अमलनेर के गडखांब गांव में किसानों के लिए सफलता के बीज बो रही है. 

woman farmer learnt smartphone during Paani Foundation farmer cup

बदलाव की ये कहानी शुरू हुई पानी फाउंडेशन के सत्यमेव जयते फार्मर कप ट्रेनिंग (Paani Foundation's satyamev jayate farmer cup training) के साथ. ट्रेनिंग की तारीख नज़दीक थी. पर गडखांब से हिस्सा लेने वाला कोई नहीं. आजी ने ट्रेनिंग में हिस्सा लिया. प्रभावशाली महिला किसानों की कहानियों ने आजी में जोश भर दिया. 

"मैंने महिलाओं को खेती करते देखा. सफलता हासिल करते देखा. मैं भी एक महिला हूं. इसलिए मैंने फैसला किया कि मैं भी यह करूंगी."  यह सोच विमला आजी ने गडखांब में महिलाओं का गट बनाने का प्रण लिया. लोगों ने उनके काम पर कई सवाल उठाये. पर हार मानना आजी के स्वभाव में कहां. वह घर-घर गई. 2 महिलाओं के साथ गट शुरू किया. धीरे-धीरे 1 महीने में 12 महिलाएं गट का हिस्सा बन गईं.

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आजी ने सिखाई ग्रुप फार्मिंग 

पानी फाउंडेशन द्वारा आयोजित सत्यमेव जयते फार्मर कप की सफलता के पीछे विमलाबाई पाटिल जैसी महिलाओं का हाथ है. महिलाओं को गट (women farmer groups) की ज़रुरत और उससे जुड़ने के फायदे समझ आने लगे. महिलाओं का गट बनाने के बाद, वह पुरुषों एकजुट करने में जुट गई. आजी के प्रभाव से पुरुष भी अपना गट तैयार करने लगे. 

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आजी के नेत्तृत्व में महिला और पुरुष गट ने ग्रुप फार्मिंग (group farming) शुरू की. सिस्टेमेटिक और साइंटिफिक तरीके अपनाये. अपना ज्ञान गटों के साथ साझा किया, फिर भी कुछ कमी महसूस हुई. वह कमी थी स्मार्टफोन की. आजी ने स्मार्टफोन खरीदा और सीखना शुरू किया. बहन और पड़ोसियों की मदद से वह 15 दिनों में व्हाट्सएप और यूट्यूब इस्तेमाल करना सीख गई. 

स्मार्टफोन सीख, फार्मर कप ऐप से ली जानकारी 

मोबाइल ने सीखने के नए दरवाज़े खोल दिए. आजी फार्मर कप ऐप की सैवी यूज़र बन गई. "मैं खेत की कटाई और निराई की तस्वीरें पोस्ट करने लगी. फसल की भी काफी फोटोज पोस्ट की," आजी ने बताया. काम में कोई भी गट सदस्य थोड़ा भी लेट होता, तो आजी तुरंत फ़ोन लगा देती. व्हाट्सएप ग्रुप पर सबकी ख़बर रखती. यूट्यूब वीडियो के ज़रिये सवालों के जवाब खोजती. 

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गट सदस्य रंजना वाघ ने बताया, "पुरुष हो या महिला, सब उनसे डरते हैं. उनकी डांट से बचने के लिए सब समय पर आ जाते."

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पानी फाउंडेशन के साथ किसान बना रहे समृद्ध महाराष्ट्र

आजी से डरने वाले सदस्य उनसे उतना ही प्यार भी करते हैं, वह उस डांट के पीछे का प्रेम समझते हैं. गांववाले जानते हैं कि आजी की कोशिशों के बिना गडखांब के किसान कभी भी ग्रुप फार्मिंग नहीं सीख पाते. 

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पानी फाउंडेशन का मिशन सामाजिक एकता को बढ़ावा देकर, टेक्नॉलोजी और स्मार्ट समाधानों के ज़रिये सूखा मुक्त और समृद्ध महाराष्ट्र बनाना है। ग्रुप फार्मिंग को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रहे पानी फाउंडेशन ने रविवार विचार को बताया कि फार्मर कप इसी लक्ष्य को पूरा करने का एक ज़रिया है. विमलाबाई पाटिल जैसे हज़ारों मेहनती और क्रांतिकारी किसान पानी फाउंडेशन के साथ समृद्ध महाराष्ट्र (Maharashtra) बनाने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहे हैं.

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