पाबंदियों को डांस मूव्स से चुनौती देती 'पसूरी' डांसर शीमा करमानी

पसूरी की धुन सुनते ही वीडियो में दिख रहे कलाकारों के साथ हम भी झूमने लगते हैं. वीडियो की शुरुआत में ही साड़ी पहने उम्रदराज़ महिला मनमोहक डांस करते दिखती हैं. यह महिला पाकिस्तान की भरतनाट्यम नृत्यांगना शीमा करमानी.

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मिस्बाह
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साल 2022 में रिलीज़ हुआ अली सेठी (Ali Sethi) का ब्लॉकबस्टर गाना 'पसूरी' (Pasoori) करोड़ों लोगों की प्लेलिस्ट का हिस्सा बन गया. पसूरी  को मॉडर्न और ओल्ड स्कूल (old school songs) धुनों के बीच सही तालमेल बनाने के लिए पसंद किया गया. 

'आग लावां मजबूरी नु आन जान दी पसूरी नु ज़हर बने हां तेरी पी जावां मैं पूरी नु' (Pasoori lyrics hindi) यह धुन सुनते ही वीडियो में दिख रहे कलाकारों के साथ हम भी झूमने लगते हैं. वीडियो (pasoori video dancer) की शुरुआत में ही साड़ी पहने उम्रदराज़ महिला मनमोहक डांस करते दिखती हैं. यह महिला पाकिस्तान (Pakistan) की भरतनाट्यम नृत्यांगना शीमा करमानी (Pakistani classical dancer Sheema kermani) हैं. 

कौन है पसूरी भरतनाट्यम डांसर शीमा करमानी?

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अपने परफेक्ट भरतनाट्यम (Bharatnatyam Pakistan) मूव्स के अलावा शीमा फेमिनिस्ट और सामाजिक कार्यकर्ता (feminist & Social Activist Sheema Kermani) होने के लिए भी पहचानी जाती हैं. वह 40 सालों से ज़्यादा का अनुभव रखती है. वह वार्षिक औरत मार्च (Aurat March Pakistan) का जाना-माना चेहरा हैं. 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) मनाने के लिए पाकिस्तान में प्रदर्शन का नाम है 'औरत मार्च'. जनरल मुहम्मद जिया-उल-हक (General Muhammad Zia-ul-Haq) ने जब पाकिस्तान में नृत्य पर प्रतिबंध लगाया, तब करमानी दिल्ली में नृत्य (dance ban in Pakistan) सीख रही थीं. 

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पकिस्तान लौटकर उन्होंने परफॉर्म करना शुरू किया. "मुझे एहसास हुआ कि, अनजाने में, मेरा नृत्य प्रतिरोध और चुनौती   देने का प्रतीक बन गया." शीमा बताती हैं. 

जनरल जिया-उल-हक की पाबंदियों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने का ज़रिया बना डांस 

1980 के दशक में जब जनरल सत्ता में आए, तो उन्होंने साड़ी को भी 'ग़ैर-इस्लामी' मान, उसे सार्वजनिक स्थानों पर पहनने से पाबंदी लगा दी (saree ban in Pakistan). इस तरह वह साड़ी पहन अपनी कला के ज़रिये महिलाओं पर लगाई गई पाबंदियों के ख़िलाफ़ और उनकी आज़ादी के लिए आवाज़ उठाने लगी.

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शीमा ने 1970 में फेमिनिस्ट ग्रुप तहरीक-ए-निस्वान (Feminist Group Tehreek-e-Niswan) शुरू किया. यह ग्रुप महिलाओं के अधिकारों (Women's rights activist Pakistan)के लिए आवाज़ उठाता है, जिसने घरेलु हिंसा (domestic violence) के विरोध के लिए पहचान बनाई. 

एक इंटरव्यू में करमानी ने कहा, "मुझे एहसास हुआ कि कठोर पितृसत्तात्मक समाज में, नृत्य न सिर्फ अपने आप को व्यक्त करने की आज़ादी देता है, बल्कि बॉडी और सोल को एक साथ लाने का ज़रिया भी बनता है!"

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