कभी एक साड़ी के लिए तरसी, अब लगाती साड़ियों की दुकान

एक साड़ी के लिए भी जो महिला को संघर्ष करना पड़ा,वही महिला आज साड़ियों की दुकान लगा रही. सैकड़ों साड़ियां बेच चुकी यह महिला समाज में सम्मान से जीवन जी रही. समूह की मदद से अब कई महिलाओं के साथ दूसरे लोगों को भी काम दे रही.    

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विवेक वर्द्धन श्रीवास्तव
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विदिशा में अपने शॉप के साथ बैठी राजकुमारी (Image: Ravivar Vichar)

MP के Vidisha जिले के छोटे गांव गोबरहेला की रहने वाली महिला ने सोच लिया था कि उसे जीवनभर मजदूरी ही करना है. स्वयं सहायता समूह से महिला को जोड़ा. देखते ही देखते कुछ ही महीने में महिला का जीवन बदल गया. गोबरहेला गांव की रहने वाली राजकुमारी चिड़ार की है यह ख़ास कहानी. 

2 हज़ार रुपए कमाने वाली अब कमा रही साल के डेढ़ लाख 

विदिशा जिले के गोबरहेला गांव की रहने वाली राजकुमारी चिड़ार बताती है-"मैं घर के काम तक सिमित थी. जरूरत पड़ने पर मजदूरी करती. बड़ी मुश्किल से 2000 रुपए महीने कमा पा ajeevika mission के अधिकारियों ने मुझे योजनानाओं और कमाई के लिए बताया. रामसीता स्वयं सहायता समूह बनाया. सबसे पहले 15 हज़ार रुपए की साड़ियां सूरत से लेकर आसपास के गांव-गांव जाकर बेची. मुझे पहली बार में ही 15 हजार रुपए की कमाई हो गई. मेरा मन लग गया.धीरे-धीरे काम बढ़ाया. हिम्मत करके विदिशा में घर लिया और घर से ही साड़ियों की दुकान शुरू की.अब मेरी अच्छी कमाई हो रही."

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विदिशा में  लगाई दुकान में सजाई गई साड़ियां (Image: Ravivar Vichar)

परिवार के लोग बताते हैं कि गांव में बहुत कच्चा घर है. SHG से जुड़कर हमारी कमाई बढ़ गई.

महिलाओं को किया एकजुट बना दिया ग्राम संगठन 

एक समय आर्थिक परेशानी का सामना कर रही राजकुमारी ने समूह से जुड़कर आर्थिक स्थिति मजबूत कर ली.  Ajeevika Mission के अधिकारियों ने ट्रेनिंग दी. राजकुमारी ने गांव और आसपास कई self help group बना कर महिलाओं को रोजगार के लिए साथ दिया. खुद ग्राम संगठन village organization की सचिव बनी. राजकुमारी आगे बताती है- "मेरे परिवार में दो पहिया वाहन भी खरीद लिया.इसकी मदद से मेरा बेटा गावों में जाकर साड़ियां बेचता है.इससे भी कमाई हो जाती है."

Ajeevika Mission District Project Manager (DPM) S.K. Chaursia बताते हैं-"गोबरबेला गांव में यह समूह साल 2023 में बनाया.10 महिलाओं को जोड़ा.सभी काम से जुड़ गई.राजकुमारी ने बहुत मेहनत की. इस समूह को  bank linkage (बैंक लिंकेज) से जुड़वाया.27 हज़ार रुपए का शुरू में ही वितरण करवा कर काम में मदद दी.अब ख़ुशी है कि समूह की महिलाएं आत्मनिर्भर हो गईं."                               

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