MP के Satna जिले (MP news hindi) के Devraj nagar और Guduhuru गांव में रहने वाली दो महिलाओं ने अपनी मेहनत और समूह से जुड़कर आत्मनिर्भर हो गई. ये गली-गली घूमने की बजाए दुकान लगाकर हरी सब्जियों और फल बेचतीं, तो कोई मजदूरी करने को मजबूर थी.
मजदूरी से मिली मुक्ति अब फल-सब्जियों का कारोबार
Satna जिले में महिलाओं ने संघर्ष से हार नहीं मानी. समूह से जुड़ीं और खुद को पैरों पर खड़ा किया.
Ajeevika Mission से जुड़ी सतना जिले के देवराज नगर की रहने वाली मीना कुशवाहा बताती हैं-"हमारे परिवार में सदस्य अधिक थे.पति खेती-मजदूरी करते.मेरे पास अलग से कोई काम नहीं था. परिवार में आर्थिक दिक्कत होने से कई बार मुझे भी मजदूरी पर जाना पड़ता. मैं जय माता दी स्वयं सहायता समूह से जुड़ी. CCL और दूसरे फाइनेंशियल सपोर्ट से 30 हजार का लोन लिया.मैंने आजीविका फ्रेश दुकान पर सब्जियां बेचना शुरू किया.स्थिति अच्छी होने लगी.अब मौसमी फलों का भी कारोबार करती हूं. मुझे 10 हजार से 15 हजार रुपए तक महीने की इनकम होने लगी."
गलियों में ठेले से आजीविका फ्रेश दुकान का किया सफर
Satna जिले के ही गुड्डुहुरु गांव की सविता कुशवाहा समूह में जुड़ने से पहले ठेले पर सब्जियां बेचती.
सविता बताती है -"हमारे परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी. पूंजी नहीं होने के कारण ठेले पर ही गलियों में सब्जियां बेचती. कोई ज्यादा कमाई नहीं हो पाती.मैं गोपी अनुपमा स्व सहायता समूह से जुड़ी. समूह से 40 हजार रुपए का लोन लिया. धीरे-धीरे काम जमने लगा. मैंने आजीविका फ्रेश दुकान लगाकर सब्जी बेचने लगी.अब मैं 10 से 12 हजार रुपए महीने कमाने लगी.घर पर भी पैसे की मदद करती हूं."
Savita Kushwah (Image: Ravivar Vichar)
Satna के Ajeevika Mission के District Project Manager (DPM) Anjula Jha ने बताया- Self Help Groups की महिलाओं को CCL और दूसरी सहायता के साथ ट्रेनिंग भी दिलवाई जा रही. इससे समूह की महिलाएं अपना काम आर्थिक मजबूती के लिए खुद कर रहीं. Satna जिले में इस समय लगभग 13 हजार स्वयं सहायता समूह के जरिए डेढ़ लाख महिलाएं जुड़ चुकीं हैं."
State Rural Livelihood Mission के SPM (State Project Manager) Manish Panwar कहते हैं- "हमारा प्रयास हर जिले में SHG महिलाओं को बढ़िया रोजगार मिले. सतना जिले में भी Agriculture Field में महिलाएं अच्छा काम कर रहीं. कई महिलाएं अब मजदूरी से मुक्त हो कर खुद का व्यवसाय कर रहीं."