Image Credits: Shashikala cooking classes instagram
हर मुश्किल का सामना कर सवारी ज़िंदगी
'फॉरेनर्स के घर पर कपड़े बर्तन धोती थी और आज फर्राटेदार इंग्लिश बोलकर, उन्हें ही को खाना बनाना सिखाती है.' ये कहानी नहीं है, बल्कि एक महिला के जीवन के संघर्ष की दास्तान है, जो आज दुनिया के हर व्यक्ति तक पहुंच रही है. कम उम्र में शादी, फिर पति की असमय मौत, बच्चों को अकेले संभालना, कपड़े बर्तन धो कर पैसे कमाना, अशिक्षित होने के कारण कोई नौकरी भी ना कर पाना, यह सब होने के बाद भी हर संघर्ष को सहन किया था, उदयपुर राजस्थान के अंबामाता निवासी शशिकला सनाढ्य ने.
वे बताती है, "मेरी शादी 19 साल की उम्र में हो गई थी. मैं नाथद्वारा के पास एक छोटे से गांव ओड़ा में रहती थी और शादी के बाद उदयपुर आ गई. तब मैं ठीक से हिंदी भी नहीं बोल पाती थी, मेवाड़ी में ही बात करती थी. दो बेटों के होने के बाद वर्ष 2001 में पति की मृत्यु हो गई और मैं अकेली रह गई. उस समय उदयपुर के जगदीश चौक के गणगौर घाट क्षेत्र में रहती और गुजारा चलाने के लिए विदेशियों के कपड़े व बर्तन धोया करती थी."
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उदयपुर की शशिकला सनाढ्य फॉरेनर्स को खाना बनाना सिखाती है
एक बार इनके पास एक आयरलैंड का व्यक्ति आया. वह भारतीय खाने का शौकीन था. उसने शशिकला को अपनी कुकिंग क्लास खोलने का आइडिया दिया. जो महिला पहले ठीक से हिंदी भी नही बोल पाती थी, वो आज फर्राटेदार अंग्रेजी में फॉरेनर्स को खाना बनाना सिखा रही है. और मज़े बात ये है की सिर्फ इंग्लिश नही, बल्कि इटेलियन,स्पेनिश, फ्रेंच में भी खाने के मसालों, और व्यंजनों के नाम जानती है.
हौसले और आत्मविश्वास से बढ़ी आगे
शशिकला हर महिला यहां तक की हर व्यक्ति के लिए एक इंस्पिरेशन जो अपनी जिंदगी में हार मानने के बारे में सोचता है. परेशानियां किसके जीवन में नही होती. हर व्यक्ति इस दुनिया में अपनी लड़ाई लड़ रहा है. लेकिन कौन जीतेगा और कौन हारेगा ये परेशानियां नही तय कर सकती. जो इंसान मन में हार जाता है, वो कभी नई जीत सकता. लेकिन जो मन में जीत चुका, उसे हराने की हिम्मत किसी में नहीं.