विदेशी चेहरों पर भी चढ़ रहे खुशियों के देशी हर्बल रंग

अब केमिकल रंग नहीं,बस हर्बल रंग और वह वही प्योर हिंदुस्तानी. Chhattisgarh में SHG द्वारा तैयार हो रहे Herbal colors की इतनी डिमांड बढ़ गई. इस साल यहां से महिलाओं के हाथों से तैयार हर्बल कलर्स यूरोप जाएंगे. इससे महिलाओं की नई पहचान बन गई.

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विवेक वर्द्धन श्रीवास्तव
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धूप में तैयार कलर पॉवडर सूखाती महिलाएं (Image: Ravivar Vichar)

CG में Durg जिले के Sankra गांव की महिलाओं के अनूठे गांव से जहां उनकी अलग पहचान बनी वहीं कमाई का भी बढ़ गई.यहां के  self help group की महिलाएं फूलों से herbal color बना रहीं. महिलाओं के बनाए यह कलर्स नेपाल और यूरोप एक्सपोर्ट किए.इस बार  Holi Festival से पहले ही यूरोप से और डिमांड आई.     

Village Of Colors बना Durg का संकरा गांव 

CG के दुर्ग जिले में जाकर आप सिर्फ यह पूछेंगे Village Of Colors कहां है? इलाके में सभी बता सकते हैं village of colors यानि  Sankra गांव. जी हां, Sankra गांव की स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने वह काम कर दिखाया जो खुद मिसाल बन गया. यहां की महिलाएं मंदिरों में चढ़ाए गए फूल और हार-मालाओं से हर्बल रंग बना रहीं. बच्चे भी अपनी Pichkariyon में अब इन्ही रंगों से खेलने लगे.  

Village Organization Sankra की अध्यक्ष हेम कुमारी सिंगौर बताती है-"हमने कुमकुम महिला ग्राम संगठन (VO)बनाया.आसपास के सभी मंदिरों में अनुपयोगी हो गए फूल और हार-मालाओं को लाकर यह रंग तैयार करते हैं.इस काम में 250 से ज्यादा महिलाओं को रोजगार मिला. हमें ख़ुशी है कि हमारे द्वारा तैयार हर्बल कलर नेपाल और यूरोप देश में भी पसंद किया."

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यूनिट में हर्बल कलर तैयार करती समूह सदस्य और अन्य (Image: Ravivar Vichar)

इसी रोजगार से जुड़ी  SHG की दिलेश्वरी तुर्काने कहती हैं- "हम पहले काम की तलाश में भटकते थे. रायपुर तक जाते थे .अब रंगों से जीवन में खुशियां मिल गई.मैं 10 हजार रुपए महीना कमा लेती हूं." 

30 टन Herbal Colors Export होगा Europe

दुर्ग जिले में हर्बल कलर्स बनाने का काम लगातार बढ़ रहा. यहां और भी छोटी-बड़ी यूनिट काम कर रही.Ajeevika Mission Bihan Durg District Mission Manager (DMM)  Sagar Pansari बताते हैं-"यूनिट में लगभग 300 से ज्यादा महिलाओं को रोजगार मिला.समूह से लोन लेकर सोलर ड्रायर और पलवाइज़र मशीन खरीदी. मंदिरों से निकलने वाले फूलों को सूखा कर और पीस कर मीठा रंग मिलाया जाता है.तैयार रंग 200 रुपए किलो के हिसाब से बिक जाता है. हमें ख़ुशी है कि इस यूनिट से इस बार 30 टन हर्बल कलर्स Europe export होगा.पिछली बार नेपाल के साथ यूरोप में 23 टन कलर एक्सपोर्ट हुआ था .राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान (SRLM Bhihan) Director (MD) IAS Namrta Jain का हमें लगातार गाइडेंस मिल रहा."  
 

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हर्बल कलर्स के साथ समूह की सदस्य (Image: Ravivar Vichar)    

इस पूरे मिशन में जिला पंचायत ZP CEO Ashvin Devangan खुद रूचि लेकर प्रमोट कर रहे जिससे समूह की महिलाओं को और अधिक कमाई हो सके. 

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