MP के बालाघाट जिले की रहने वाली महिलाओं के लिए राबिता साबले मिसाल है.लांजी ब्लॉक के बेलगांव की Rabita ने 2017 में self helf group को ज्वाइन किया.इसी के सहारे उन्होंने अपने परिवार के बिज़नेस को आधुनिक बनाया.
Naxalite प्रभावित इलाकों में समूह से जोड़ दी सैकड़ों महिलाएं
Balaghat के Lanji Block अंतर्गत बेलगांव की रहने वाली राबिता साबेला ने अपने पुश्तैनी काम चना-मुर्रा (चावल से तैयार परमल) को गांव ही बेचने का काम शुरू किया.
सरस्वती स्वयं समूह की राबिता साबेला बताती है-"मुझे लगा गांव तो बहुत छोटा है.मैंने लांजी जाकर चना-मुर्रा बेचना शुरू किया.ग्राहक बढ़े.मुझे मोबाइल पर ही ऑर्डर मिलने लगे.कमाई बढ़ी तो सेकेंड हैंड स्कूटी खरीदी.अब काम में आसानी हो गई.लांजी से हम बालाघाट बाज़ार तक बेचने लगे."
CRP राबिता गांव जाकर महिलाओं की काउंसलिंग करती हुई (Image: Ravivar Vichar)
राबिता ने Naxalite प्रभावित इलाके में निडर होकर महिलाओं को SHG से जोड़ रोजगार में मदद की.
बनी ज़मीन की मालकिन और महिलाओं में मिसाल
धीरे-धीरे राबिता साबले ने अपने परिवार के काम के लिए समूह से 15 हज़ार रुपए और फिर CLF से 50 हज़ार रुपए का लोन लिया. राबिता आगे बताती है-"मुझे ख़ुशी है कि आजीविका मिशन के अधिकारियों ने CRP बनाया.बेल गांव में ही 11 समूह काम कर रहे.इसके अलावा मैंने कई गांव जाकर self help group का गठन किया.अब मैं लगभग 15 हज़ार रुपए महीना कमा लेती हूं."
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अपने घर में चना-परमल तैयार करती राबिता (Image: Ravivar Vichar)
राबिता ने अपने पुश्तैनी काम चना-परमल बेचते हुए CRP के रूप में भी अच्छा काम किया.इसी बीच ग्रेजुएट भी किया.
Lanji की ABM Suneeta Chandne बताती हैं-"Ajeevika Mission के जरिए bhopal training में भेजा.राबिता पहले village organization और फिर CLF से जुड़ी. निर्भया मॉडल CLF office की मैनेजर बनी.इससे राबिता को 35 सौ रुपए अलग से हर महीने मानदेय के रूप में आय होने लगी.यह मिसाल है."
लांजी के Ajeevika Mission BM Rajaram Parte सहित जिला पंचायत के CEO DS Randa भी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को लगातार प्रोत्साहित कर रहे जिससे महिलाओं की इनकम और बढ़ सके.
राबिता ने परिवार के लिए अपनी कमाई से कुछ ज़मीन खेती के लिए भी ले ली.