मध्य प्रदेश के Katni जिले के गांव इमलिया की सपना हल्दाकर की शुरुआत परेशानियों के साथ हुई. कुछ साल पहले SHG से जुड़ी. योजनाओं का लाभ मिला और उसका असर खेती और कमाई में नज़र आने लगा.
धान प्रोडक्शन से समझ आने लगी SHG को धन की कीमत
कुछ साल पहले तक अपने दो एकड़ खेत में मेहनत के बावजूद पर्याप्त कमाई नहीं होती.
सपना हल्दकार बताती है- "लगभग चार साल पहले हमने अपनी 12 साथियों के साथ लक्ष्मी आजीविका स्वयं सहायता समूह बनाया. हमने शुरू में 10 हजार का लोन लिया. फिर Ajeevika Mission के अधिकारियों की मदद से 50 हजार रुपए का लोन मिला. हमने अपने खेत में गेहूं, धान, टमाटर और आलू लगाए. धान की उपज सफल रही. इसकी कीमत से धन की कीमत समझ आई. अब पूरा समय मैं खेती के काम में देती हूं."
समूह की सदस्यों को मिला उचित मूल्य की दुकान संचालन का मौका (Image: Ravivar Vichar)
Organic Farming के साथ घर रखे पशुधन
सपना के परिवार ने self help group से जुड़कर और सुविधाएं भी जुटाईं.
सपना आगे बताती हैं -"हमने खेती में रासायनिक खाद को धीरे-धीरे कम कर दिया. हम organic farming कर रहे. इससे हमारी उपज की कीमत ज्यादा मिलने लगी. टमाटर अभी रोज़ एक करेट निकल रहे. गर्मी में टमाटर का उत्पादन और बढ़ जाएगा. मुझे ख़ुशी है हमारे घर दो गाय और दो बेल के साथ और पशुधन है.यह सब स्वयं सहायता समूह की देन है."
इमलिया में अपने खेत में काम करती सपना (Image: Ravivar Vichar)
Katni District Project Manager (DPM) Shabana Khan कहती हैं- "इमलिया छोटा सा गांव है. यहां की महिलाओं ने उत्साह से समूह बनाया.सपना भी समूह की सक्रिय सदस्य है. SHG से जुड़ने के बाद सपना की आर्थिक स्थिति अच्छी हो गई.सपना की कमाई पहले 3 से 4 हजार रुपए तक थी. समूह से जुड़ने के बाद यह कमाई 10 हजार से 15 हजार रुपए तक हो गई."
State Rural Livelihood Mission (SRLM) Bhopal के SPM Manish Panwar कहते हैं- "Katni में आजीविका मिशन से जुड़ी महिलाएं अलग-अलग क्षेत्र में अच्छा काम कर रहीं. किसान दीदी के रूप में नई पहचान बना रहीं."