चंदेरी साड़ियां बुनकर महिलाओं की ज़िंदगी में पैसों की चांदी

महिलाओं की ख़ास पसंद की पोशाक चंदेरी साड़ियां बनाने वाली बुनकर महिलाओं के आर्थिक हालातों में बहुत बदलाव दिखने लगा.इन साड़ियों को तैयार कर बुनकर महिलाओं की ज़िंदगी में चांदी ही चांदी दिखने लगी. 

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चंदेरी साड़ियां बुनकर महिलाओं की ज़िंदगी में पैसों की चांदी

सरस मेले में ग्राहकों को साड़ी दिखाती समूह सदस्य (Image: Ravivar Vichar)            

MP के Ashoknagar जिले की प्रसिद्ध Chanderi Sarees  को बनाने वाली महिलाएं अब आत्मनिर्भर हो गईं.किसी समय इन महिलाओं ने साड़ी बनाने के लिए कई साल मेहनत की,परंतु आर्थिक स्थिति SHG से जुड़ने के बाद बदली. 

रंग बिरंगी साड़ियों के साथ महिलाओं के सपने हुए साकार 

जिस साड़ी को देश-विदेश में पसंद किया जाता रहा,वहीं इन साड़ियों को बुन कर तैयार करने वाली महिलाएं मजदूरी तक सिमित रह गईं.घर भी बड़ी मुश्किल से चलता था. कुछ सालों से self help group से जुड़ीं और यही महिलाएं मजदूरी छोड़ मालकिन की तरह अब चंदेरी साड़ियों का बिज़नेस कर रहीं.इन महिलाओं के सपने रंग बिरंगी साड़ियों की तरह साकार होने लगे.
प्राणपुर की ओम साईं राम SHG की सोना कोली कहती हैं-"अब हम खुद साड़ियां बुनकर बड़े बिज़नेस मेन को बेचते हैं. Saras Mela में जाने का मौका मिला.इससे हमारी पहचान बढ़ी.हम hand loom पर साड़ी के अलावा सूट भी तैयार करते हैं.अब हमारी कमाई अधिक होने लगी."

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अपने लूम पर साड़ी बुनती समूह सदस्य (Image: Ravivar Vichar)

प्रदेश में   DAY NRLM के माध्यम से महिला समूह द्वारा बनाई जा रही साड़ी और ड्रेस मटेरियल को exhibition में रखा जा रहा.                

400 से ज्यादा बुनकर SHG महिलाओं को मिला रोजगार 

अशोकनगर जिले के चंदेरी में तैयार साड़ियों की कीमत लगातार बढ़ रही.इसका कारण यहां लगातार सेलिब्रिटी का आना है.
Ajeevika Mission के District Manager (DM) Dharmesh Verma बताते हैं-"जिले में चंदेरी साड़ी की अपनी पहचान है.बावजूद इससे जुड़ीं कई बुनकरों को सही अवसर नहीं मिल रहा था.लगातार self help group का गठन किया और अलग से ट्रेनिंग की व्यवस्था की.अभी तक इस बिज़नेस में लगभग 400 महिलाएं आत्मिनर्भर हो गईं."
साड़ियों की कीमत साढ़े 3 हज़ार रुपए से लगाकर 25 हज़ार रुपए तक है.साड़ी बुनकर महिलाओं का कहना है कि कई बार सेलिब्रिटी के ऑर्डर पर भी डिज़ाइन तैयार की जाती है उसकी कीमत और अधिक हो सकती है.

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स्टॉल्स लगाकर चंदेरी साड़ियों के साथ (Image: Ravivar Vichar)

Ajeevika Mission के District Project Manager (DPM) DK Sharma कहते हैं-"जिले की सबसे बड़ी पहचान चंदेरी साड़ी बनाने वालों के संघर्ष को आजीविका मिशन ने कम किया. अब वे खुद अलग-अलग जगह प्रदर्शनी में जाकर अपना स्टॉल्स लगाती हैं.कई महिलाओं को उपलब्धियों पर सम्मानित किया जा चुका."
जिला प्रशासन के कलेक्टर DM IAS Subhash Dwivedi और जिला पंचायत CEO IAS Dr.Neha Jain खुद इस प्रोजेक्ट को लेकर महिलाओं को प्रोत्साहित कर रहे.महिलाओं को मजदूरी की जगह खुद की लूम लेकर मटेरियल बनाने के लिए सहयोग दिया जा रहा.

चंदेरी सड़ियां बड़े शहरों के शो रूम की शान बन गई। मुंबई,दिल्ली सहित प्रदेश के कई  शहरों में हस्तकरघा और शिल्पकला बाजारों में भी पसंद की जा रही.    

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