Cow dung से गौशाला में महिलाएं बना रहीं कंडे और गमले

सरकार की गौशाला के रखरखाव का प्रयोग कई जगह सफल नज़र आ रहा.इन गौशाला में पाली जा रही गायों के गोबर से महिलाएं कंडे और गमले बना रहीं.महिलाओं के लिए यह रोजगार का जरिया बन गया.  

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Cow dung से गौशाला में महिलाएं बना रहीं कंडे और गमले

गौशाला में कंडे बनाती समूह सदस्य (Image :Ravivar Vichar)      

MP के Dewas जिले में  self help group की सदस्यों ने गौशाला की कमान संभाल ली. अकल्या पंचायत के छोटे से गांव सुतारखेड़ा में कृष्णपाल गौशाला साल 2021 से काबड़ीधाम  समूह संभाल रहा.        

हवन सामग्री में पहली डिमांड बने गौशाला के कंडे  

कृष्णपाल गौशाला की सदस्य रुक्मा कुंवर पंवार कहती हैं-"हम यहां लगातार छोटे साइज़ के कंडे कर गमले बना रहे.इस गौशाला में समूह की महिलाओं द्वारा तैयार किए जा रहे कंडों की डिमांड पूजा और हवन सामग्री में बढ़ी.इससे हमारी कमाई अच्छी होने लगी.पूजन सामग्री की दुकानों पर यह कंडे बिक जाते हैं."

इस गौशाला में मवेशियों का पूरा ध्यान रखा जा रहा.त्यौहारी सीज़न में यहां Cow Dung से ही दीपक भी बनाते हैं.जो प्रदूषण रहित हैं.  

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गौशाला में तैयार गमलों के साथ समूह सदस्य (Image :Ravivar Vichar)  

समूह की सदस्य तूफान बाई प्रेम सिंह आगे बताती है-"इसके अलावा हम सदस्य यहां पाली जा रही गायों का ध्यान रखते हैं.अभी 132 में से 9 गायें दूध दे रहीं.इस दूध को लोकल लेवल पर बेच कर अलग से आय हो रही.रोज़ 20 लीटर दूध मिलने से अभी 9 हज़ार रुपए की इनकम अलग से हो रही."

मवेशियों के लिए भूसा और खली खरीदी में समूह को लगभग 15 हज़ार रुपए हर महीने खर्च करना होता.

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गोकाष्ठ निर्माण यूनिट का बन रहा नया प्रोजेक्ट 



इस गौशाला को और अधिक सुविधायुक्त बनाने के लिए आजीविका मिशन के अधिकारी जुटे हुए हैं.Dewas Block के BM Mukesh Mukhiya बताते हैं-"कबीरधाम समूह ने इस गौशाला को सफल बना दिया.यहां फिलहाल 132 गायें हैं.इसने स्वास्थ्य और देखरेख के लिए Pashu Sakhi यहां आकर समय पर टीकाकरण करती है.समूह की महिलाओं को मार्केटिंग में मदद करते हैं."

यहां तैयार की गई गौशाला को देखने दूसरे समूह और सामाजिक संस्थाएं भी आती हैं.

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गौशाला के बाहर खड़ीं समूह सदस्य (Image :Ravivar Vichar)          

Ajeevika Mission की District Project Manager (DPM) Sheela Shukla कहती हैं-"यहां समूह की 12 ही सदस्य ने मेहनत कर बेस्ट क्वालिटी के कंडे और गमले बना रहीं.इन महिलाओं को ट्रेनिंग के लिए भोपाल भेजा गया था.भविष्य में प्रयास किए जा रहे कि यहां गोकाष्ठ की यूनिट भी लगाई जाए.जिससे समूह सदस्य की आय और बढ़े."

यह  SHG आर्थिक रूप से मजबूत होने के साथ पर्यावरण संरक्षक का भी काम कर रहा.       

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