निमाड़ी मसाले से बन रहा खाना जायकेदार

निमाड़ी मसाले से खाना जायकेदार बन रहा.बड़ी-बड़ी नामी गिरामी ब्रांड कंपनियों को कुछ महिलाओं ने पीछे छोड़ दिया.मालवा-निमाड़ में खाने के शौकीनों की पहली पसंद निमाड़ी खाने का मसाला हो गया. निमाड़ की महिलाओं ने यह कमाल कर दिखाया.

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निमाड़ी मसाले से बन रहा खाना जायकेदार

मसाला पैक करती समूह सदस्य और मंजू (Image: Ravivar Vichar)

MP की पश्चिम निमाड़ Badvani जिले के एक छोटे से गांव की महिलाओं ने खेत में काम करते-करते लघु उद्योग की राह पकड़ी. Ajeevika Mission  से जुड़कर समूह बनाया. अब यही self help group  अपनी पहचान बना चुका है. Spices Industry के लिए इस समूह की डिमांड बढ़ी.   

मिक्सर घरेलु मशीन से लघु उद्योग तक का किया सफर 

बड़वानी जिले के ठीकरी ब्लॉक में हरिबड़ गांव की Manju Gahalot  बताती है-"पहले मैं अपने पति के साथ खेत में हाथ बंटाती थी. फिर निमाड़ महिला ग्राम उद्योग आजीविका मिशन समूह बनाया. घर में घरेलु मिक्सर मशीन से मसाले पीसते थे.आजीविका मिशन से मदद मिली. 7 लाख रुपए का  CCL Loan लिया. मसाले की मशीनों की यूनिट डाली.हमारी कमाई तेजी से बढ़ने लगी.मैं 40 से 50 हज़ार रुपए महीना कमा लेती हूं."

गांव में  Small Industries के नाम से यह बड़ा उदाहरण बना.

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मसाला तैयार करने के पहले हल्दी की छंटाई करती मंजू (Image: Ravivar Vichar)        

Ajeevika Mission Thikari Block Manager (BM) Shraddha Sharma बताती है-"मिशन का यह बड़ा सफल प्रोजेक्ट है.एक सामान्य खेत में काम करने वाली महिला मंजू अब लाखों रुपए का सालाना टर्नओवर संभालती है. हम मार्केटिंग से लगाकर कच्चा माल खरीदने के लिए गाइड कर रहे.इस project में 10-12 दूसरी महिलाओं को भी रोजगार मिला."

हल्दी,धनिया और मिर्च के साथ पावभाजी मसाला !

खास बात यह है कि छोटे से गांव में लगाई गई इस यूनिट में तैयार मसाले की डिमांड कई जगह बन गई. समूह की अध्यक्ष मंजू आगे कहती है-"हमारे यहां मिर्च और हल्दी का यहीं से खरीदते हैं. कुछ किसानों को हल्दी के बीज देकर हम खुद पौधे तैयार करवा रहे.धनिया थोक में इंदौर मंडी से मंगवा रहे. ऑर्डर पर पावभाजी मसाला भी तैयार कर देते हैं.निमाड़ के सभी इलाकों के साथ  गुजरात भी Ajeevika Food Masala बेच रहे."

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मसाला पैकेनिंग यूनिट के साथ मंजू (Image: Ravivar Vichar)



Ajeevika Mission के District Project Manager (DPM) Yogesh Tiwari कहते हैं-"जिले में हरिबड़ स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने मसाला उद्योग में जगह बनाई.यहां तैयार मसाले की गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाता है. समूह सदस्य को भोपाल हाट बाज़ार,मेला आदि में भेजा जा रहा, जिससे आदिवासी जिले का हुनर सामने आ सके."National Dietitian Megha Sharma Indore कहती हैं-"किसी भी फ़ूड को जायकेदार बनाने में मसाले की भूमिका तो होती है. यदि मसालों में मिलावट हो तो उसका स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव ही पड़ेगा.जो घातक हो सकता है.इसलिए मसालों को खरीदते समय शुद्धता का ध्यान जरुरी है."    

जिला कलेक्टर DM IAS Dr.Rahul Fating  और जिला पंचायत ZP CEO Kajal Javala भी खुद इस समूह सदस्यों को प्रमोट कर रहे. प्रशासन की इच्छा है जिले के समूह सदस्यों को और अधिक राष्ट्रीय पहचान मिले.              

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