गौठान से मिली महिलाओं को गर्व की ज़िंदगी
कोंडागांव (Kondagaon) जिले कुल्हाड़गांव (Kulhadgaon) में तस्वीर बदली-बदली सी है. कुछ ही समय में यहां की घरेलु और खेतिहर मजदूर महिलाएं आत्मनिर्भर बन कर सम्मान से जिंदगी जी रही. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की गौठान (Gothan) और स्वयं सहायता समूह (Self Help Group)के तालमेल ने इन महिलाओं के आर्थिक हालात बदल दिए. पहले घर के किराना और बच्चों को पढ़ाना मुश्किल था. अब ये समूह की महिलाएं गौपालक (Cowhred) बन गईं.
मन खुश रथे, स्थिति सुधर आईस
कुल्हाड़गांव में बनाए गए शेड में अब गायें (Cow) पाली जा रही. इनकी देखभाल मां लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह (SHG)महिलाएं कर रहीं. इस समुह की सक्रीय सदस्य बुयकी मरकाम अपनी छत्तीसगढ़ी अंदाज़ में खुश होकर कहती है- " पहली हमन बहुत गरीब रहे,अब हमर स्थिति में सुधर आईस. घर के मन बहुत खुश रथें." (पहले हम बहुत गरीब थे. अब हमारी स्थिति सुधर रही. घर के लोग भी बहुत खुद रहते हैं.) इस समूह में दस महिलाएं जुड़ीं.
गौठान शेड के पास गर्व से खड़ीं सदस्य महिलाएं (Image Credit: Ravivar Vichar)
कारोबार में काबिल हुईं महिलाएं
वीरान से रहने वाले इस गांव में अब पालतू मवेशियों की चहल-पहल दिखाई देने लगी. जनपद पंचायत के फरसगांव (Farasgaon) ब्लॉक कार्यक्रम अधिकारी (PO) वीरेंद्र कुमार साहू बताते हैं -" इस गांव में वित्त योजना और मनरेगा योजना के तहत पशु शेड बनवाया. यहां शुरू में दो गायें थी. समूह की महिलाओं को पशु पालन की जानकारी नहीं थी. ट्रेनिंग देकर उन्हें तैयार किया गया. अब ये पूरी तरह से कारोबार संभाल रहीं.इसके अलावा दूसरे रोजगार के रस्ते भी खुल गए."
कमाई के मिले नए रास्ते
गौठान (Gothan) के साथ समूह को कई काम मिले.कोंडागांव के आजीविका मिशन बिहान के जिला मिशन प्रबंधक विनय सिंह कहते हैं- "यह बहुत सफल प्रोजेक्ट है. महिलाओं के पास 8 गाय हैं. इनका पालन अब ये ही कर रहीं. रोज लगभग 35 लीटर दूध (Milk) निकल जाता है. इसे आपस के चूरेगांव की डेयरी पर बेच देती हैं. मुनाफा भी अलग मिलता है. यहीं से महिला सदस्य 50 किलो से ज्यादा गोबर भी इकठ्ठा कर बेच रहीं. इससे समूह की महिलाओं को डबल फायदा हो रहा. सिर्फ गोबर के कारोबार से ही 30 हजार रुपए की कमाई सदस्यों को अलग से हो गई."
कुल्हाड़गांव की समूह सदस्य खेत में जैविक खेती भी कर रहीं (Image Credit:Ravivar Vichar)
और बढ़ाएंगे कारोबार
समूह (SHG)की महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ गया. अब वह अपना पूरा टाइम इस गौठान शेड में देतीं हैं. समूह की अध्यक्ष समदाई मरकाम सहित सदस्य मैना बाई और कमला बाई आगे बताती है- " गाय पालन के अलावा दूसरे कामों से हमारी कमाई और बढ़ गई. गौठान से हम लोग जैविक सब्जी उत्पादन कर रहे.इसी जगह हम वर्मी कंपोज़्ड भी बना कर दे रहे."
इस समूह ने अपने बलबूते पर संकुल संगठन से 2 लाख 65 हजार का लोन लिया. इस लोन में से लगभग एक लाख रुपए का लोन भी टाइम पर भर चुके. अब और किश्तें भर कर सदस्य लोन उतार रहे. डीएमएम (DMM) विनय सिंह का कहना है- "इस समूह ने मिसाल कायम कर दी. दो गाय से 8 गाय बढ़ा कर दूध उत्पादन बढ़ा लिया. जैविक खेती और वर्मी कंपोज़्ड से अलग कमाई से महिलाओं की आर्थिक स्थिति में बहुत बदलाव आ गया."
कुल्हाड़गांव की समूह सदस्य द्वारा तैयार वर्मी कम्पोज़्ड खाद (Image Credit: Ravivar Vichar)
अधिकारी कर रहे मॉनिटरिंग
इस गांव को आदर्श बनाने के लिए सीईओ (CEO)जिला पंचायत प्रेम प्रकाश शर्मा और कलेक्टर (DM) दीपक सोनी ने गौठान के कामों की लगातार समीक्षा कर रहे. समूह की महिलाओं को प्रोत्साहन देने से ये आत्मनिर्भर बनी.जिले में अलग-अलग ब्लॉक में ये गौठान महिलाओं और समूहों को रोजगार दे रहे.