मजबूत पोल बना कर खुद का भविष्य किया मजबूत

घरेलु महिलाओं को समूह में जुड़कर नए रास्ते मिल गए. सीमेंट के मजबूत पोल बना कर खुद का भविष्य भी मजबूत कर लिया. प्रदेश के गौठान, आजीविका मिशन बिहान के साथ रूरल इंडस्ट्रियल पार्क ने मजबूर महिलाओं को मजबूत कर दिया. अब ये लाखों का कारोबार कर रहीं.

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छत्तीसगढ़ में समूह सीमेंट के पोल्स बना रहीं (Image Credit: Ravivar Vichar)  

मजबूत पोल बना कर खुद का भविष्य किया मजबूत 

घरेलु महिलाओं को समूह में जुड़कर नए रास्ते मिल गए. सीमेंट के मजबूत पोल बना कर खुद का भविष्य भी मजबूत कर लिया. प्रदेश के गौठान (Gothan) आजीविका मिशन बिहान (Ajeevika Mission Bihan) के साथ रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (RIPA) ने मजबूर महिलाओं को मजबूत कर दिया. अब ये लाखों का कारोबार कर रहीं. यह कहानी हैं छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की सारंगढ़ (Sarangarh)के छोटे से गांव लेन्ध्रा (छोटे) की. यहां आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) के  समूह (SHG) ने गांव को नई पहचान दे दी.

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फैक्ट्री में रखे सीमेंट के पोल्स (Image Credit: Ravivar Vichar)  

रोशनी से घर में हुए उजाले 

लेन्ध्रा (छोटे) गांव के रोशनी स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) अध्यक्ष हिरन कोशले बताती हैं -"मेरे समूह में दस महिलाओं को जोड़ा. सभी बहुत सामान्य और घरेलु  महिलाएं थी. प्रशासन ने हमें कई योजनाओं से जोड़ा. हमने सीमेंट (Cement)के पोल  (Pole)बनाने की फैक्ट्री की ट्रेनिंग दिलवाई. मिक्चर मशीन 2 लाख रूपए में और बाइलरेटर मशीन ढाई लाख रूपए में खरीदी की. देखते ही देखते हम खंबे (पोल) बनाना सीख गए. शुरू में 11 हजार पोल बनाए. प्रशासन ने मदद की और साढ़े दस हजार खंबे बिक गए." इस रोशनी से घर-घर में उजाले हो गए.

सीख गए लाखों का कारोबार 

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सीमेंट के मजबूत पोल बना रहीं महिलाएं  (Image Credit: Ravivar Vichar)  

सीमेंट (Cement) के पोल (Pole) बना कर महिलाओं ने 17 लाख 8 हजार रूपए का कारोबार किया.समूह  सदस्य फुलमत आगे बताती है- " इसमें पोल्स को बनाने में 9लाख 4हजार रूपए की लागत आई. समूह को लगभग 8 लाख रूपए की आमदनी हुई. रोशनी समूह के सभी सदस्य और उनका परिवार इस कारोबार को नई ज़िंदगी मिली.परिवार के हालात सुधर गए." इन पोल्स का उपयोग प्रदेश में बनाए गए गौठान शेड्स को सेफ्टी देने के लिए बाउंड्री वॉल  बनाने में किए जा रहे. आजीविका मिशन बिहान  (Ajeevika Mission Bihan) के प्रभारी डीपीएम (DPM) संदीप तंबोली बताते हैं-  " रोशनी समूह की मेहनत और काम दूसरे समूह के लिए यह मॉडल है. इसके अलावा  रीपा और गौठान  (Gothan) योजना से भी समूह को नया जीवनदान मिला. इसी लेन्ध्रा (छोटे) के गौठान में दीक्षा, सरस्वती, शिवानी,आदि समूह वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण कर महिलाएं आत्मनिर्भर हो गईं. कुछ दूसरे समूह की महिलाएं  सर्फ, अगरबत्ती जैसे प्रोडक्ट्स भी बना कर अपना घर चला रहीं."  सारंगढ़ जिले के जनपद सीईओ अभिषेक बनर्जी सहित कलेक्टर डॉ. फरिहा आलम सिद्दीकी भी लगातार समूह सदस्य को हौसला बढ़ा कर ट्रेनिंग दिलवा रहे. इस व्यवस्था से समूह की महिलाओं की कमाई लगातार बढ़ रही है.        

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