Balaghat जिले के Parswada block के छोटे से गांव चंदना में जिला प्रशासन ने जैसे ही 25 एकड़ ज़मीन पर किए गए अतिक्रमण को मुक्त कराया,वैसे ही self help group की महिलाओं के लिए यह ज़मीन वरदान बन गई. प्रशासन ने यह जगह महिलाओं को बगीचा तैयार करने के लिए दे दी.
ढाई एकड़ ज़मीन पर रोप दिए अमरुद के पौधे
बालाघाट के चंदना गांव में सरकारी ज़मीन में लगभग ढाई एकड़ ज़मीन SHG की महिलाओं को सौंप दी. सागर आजीविका ग्राम संगठन की बेला सिहोल और वर्षा उइके बताती है-"यह ज़मीन कई सालों से गांव फालतू पड़ी थी. हमें इस ज़मीन पर काम मिल गया. हमने Government Nursery से अमरुद के पौधे लाए. हम इन पौधों की देखभाल कर रहे.फेंसिंग करवाई.दो साल बाद हमें इस नर्सरी से अमरुद बेचकर कमाई होने लगेगी."
यह सब कुछ देवारण्य योजना (Devaranya Yojana) अंतर्गत आयुष विभाग ने स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की मदद की.
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नर्सरी कैंपस में बैठक कर योजना बनाते समूह सदस्य और अन्य (Image: Ravivar Vichar)
इसी Village Organization की कुंता चौधरी कहती है- "इस ज़मीन पर हमने मुनगा,आंवला और आम जैसे पौधे भी लगाए. औषधीय पौधों से सभी को फायदा होगा."
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बंजर ज़मीन पर पौधे लगा कर नर्सरी बनाते और चर्चा करतीं सदस्य (Image: Ravivar Vichar)
इस ज़मीन को लेकर Ajeevika Mission Paraswada के BM Sandeep Chaursia बताते हैं-"यह सरकारी लगभग 25 एकड़ सरकारी ज़मीन पर अतिक्रमण था. मुक्त करावा कर स्वयं सहायता समूह को दी. ज़मीन को समतलीकरण और गड्डे तैयार करने में भी MGNREGA (Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act) job card की वजह से सभी shg सदस्यों को पारिश्रमिक मिला. समूह से लोन लेकर फेंसिंग काम का भी फायदा मिल रहा."
6 समूह की 66 महिलाएं संभल रहीं nursery
यदि SHG की महिलाओं को को इस nursery से मिलने वाले Guava Fruits के कारोबार में फायदा हुआ तो और भी कुछ ज़मीन की मांग कर नर्सरी को बढ़ाया जा सकता है.
Ajeevika Mission District Project Manager Mukesh Bisen बताते हैं-"इस fruit nursery से 6 समूह की 66 महिलाएं सीधे जुड़ीं हैं.इनको आर्थिक लाभ मिलेगा.मनरेगा योजना के तहत भी इन्हीं महिलाओं को फायदा मिला. फलों को बेचने में भी अधिकारी मदद करेंगे.अभी बाकि सरकारी ज़मीन पर गांव वाले गौशाला की योजना बना रहे. इसका भी लाभ गांव और महिलाओं को ही मिलेगा."