Raisen में हाथों की कारीगरी से SHG ने संवारी ज़िंदगी

गरीबी झेल रही एक महिला SHG से जुड़ी. उसने हाथों के हुनर और कारीगरी से खुद की ज़िंदगी संवार ली. अब यही महिला कई प्रदर्शनियों और प्रशिक्षणों में मिसाल बन कर शामिल होती है. आर्थिक स्थिति पूरी तरह बदल गई.समाज में सम्मान की ज़िंदगी जी रही.

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Raisen में हाथों की कारीगरी से SHG

Image: Ravivar Vichar

MP के Raisen जिले के दीवानगंज की रहने वाली अनिशा बी की यह कहानी मिसाल है. कभी गरीबी देखने वाली महिला जूट,रेशम और कॉटन की रस्सियों से कई आइटम बना रही. ये आइटम अब exhibitions में काफी महंगे दामों पर बिक जाते हैं.       

SHG Exhibition में रायसेन के झूले और बैग बन रहे पहली पसंद 

Raisen जिले के सांची ब्लॉक में दीवानगंज की रहने वाली अनिशा बी के हाथों के बनाए जूट और रेशम के झूले,बैग और कई तरह के आइटम हर SHG exhibition में पहली पसंद बने हुए हैं.

शिल्प कुटीर स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष अनिशा बी बताती है-"उनका पूरा परिवार गरीबी के हालातों से जूझ रहा था. साल 2017 में समूह से जुड़ी. हमने जूट,रेशम और कॉटन  से झूले, बैग, बॉटल कवर सहित कई सजावटी आइटम बनाना शुरू किया. प्रदर्शनियों में इन्हे खूब पसंद किया जाने लगा. मेरी कमाई 15 से 20 हजार रुपए महीने होने लगी. मेरे पति भी बीमार रहने की वजह से घर में ही किराना दुकान खुलवाई. अब हम लोग समाज में सम्मान की ज़िंदगी जीने लगे." कुछ सालों में ही अनिशा बी ने मेहनत कर अपने बनाए प्रोडक्ट्स को अलग पहचान दी.

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अनिशा बी द्वारा बनाए कॉटन और जूट के आइटम (Image: Ravivar Vichar)

Ajeevika Mission  Sanchi Block के BM Vidhya Bhushan Pandey बताते हैं-"दीवानगंज के समूह द्वारा बनाए गए आइटम की अच्छी कीमत मिलने लगी. यह भोपाल से कच्चा माल लाकर काम करती है.अनिशा देश के अलग-अलग कोने में लगने वाली exhibition में हैदराबाद,मुंबई,दिल्ली सहित भोपाल जा चुकी है. अनिशा को कई सम्मान मिल चुके."                          

मास्टर ट्रेनर बन कई जिले में दे रही ट्रेनिंग 

रायसेन की अनिशा बी ने मेहनत कर खुद की नई पहचान trainer के रूप में बना ली. अनिशा बी इन दिनों Burhanpur जिले में केले के रेशे से बैग और दूसरे आइटम बनाना सीखा रही.

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समूह सदस्य को ट्रेनिंग देती अनिशा बी (Image: Ravivar Vichar)

अनिशा बी आगे बताती है-"मैंने कभी सोचा भी नहीं  था कि अपने हुनर के दम पर ट्रेनर भी बन जाऊंगी. अभी Burhanpur जिले में SHG की महिलाओं को केले के रेशे से बैग और दूसरे आइटम बनाना सीखा रही. पिछले चार महीने में मैं 150 से ज्यादा महिलाओं को केले से कई आइटम बनाना सीखा चुकी हूं.इससे मेरी अलग से कमाई हो रही. इस काम में मेरा बेटा राशिद भी मदद कर रहा."

Ajeevika Mission District Project Manager (DPM) Burhanpur Santmati Khalkho बताती है-"इन दिनों हमारे यहां  self help group की महिलाओं को ट्रेनिंग दी जा रही. रायसेन जिले से आई अनिशा बी  Banana Fibers से bags और दूसरे आइटम बनाना सीखा रही. यह प्रशिक्षण के बाद महिलाओं के लिए नया रोजगार बनेगा."  

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