MGNREGA और FRA के साझा सहयोग से समृद्धि की और बढ़ेगा ग्रामीण भारत

MGNREGA और Forest Rights Act की रणनीतिक साझेदारी कारगर साबित हो सकती है, जो ग्रामीण आजीविका और पर्यावरण संरक्षण पर सकारात्मक प्रभाव डालेगी.

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मिस्बाह
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 MGNREGA and Forest Rights Act to boost Rural Empowerment

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भारत का ग्रामीण आर्थिक परिदृश्य चुनौतियों और अवसरों का जाल है. सरकार चुनौतियों को दूर करने और अवसरों का लाभ कोने-कोने तक पहुंचाने का प्रयास कर रही है. ग्रामीण विकास दो महत्वपूर्ण सरकारी पहलों पर निर्भर हैं- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) और वन अधिकार अधिनियम (FRA). हालांकि, ये कार्यक्रम स्वतंत्र रूप से संचालित हैं, लेकिन साथ मिलकर इन योजनाओं में सामाजिक-आर्थिक उत्थान और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने की क्षमता है.

MGNREGA: ग्रामीण कल्याण का स्तंभ

MGNREGA, रोजगार प्रदान करने और ज़रूरी ग्रामीण बुनियादी ढांचे के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. ग्रामीण परिवारों के लिए 100 दिनों का वेतन रोजगार सुनिश्चित करके, मनरेगा एक सुरक्षा जाल के रूप में कार्य करता है, जो गरीबी उन्मूलन में महत्वपूर्ण योगदान देता है. इस कार्यक्रम में सड़क निर्माण से लेकर जल संरक्षण तक कई परियोजनाएं शामिल हैं, जिससे ग्रामीण विकास को बढ़ावा मिलता है.

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Forest Rights Act बना रहा वन-निवास समुदायों को सशक्त

Forest Rights Act (FRA) वन में रहने वाले आदिवासी समुदायों और पारंपरिक वन निवासियों के अधिकारों को मान्यता देता है. इसका लक्ष्य वन संरक्षण में उनकी भूमिका पर जोर देते हुए उनकी आजीविका को सुरक्षित करना और वन संसाधनों पर अधिकार प्रदान करना है.

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MGNREGA और Forest Rights Act की साझेदारी से हो सकता है ग्रामीण विकास

MGNREGA और Forest Rights Act की रणनीतिक साझेदारी कारगर साबित हो सकती है, जो ग्रामीण आजीविका और पर्यावरण संरक्षण पर सकारात्मक प्रभाव डालेगी. ग्रामीण विकास मंत्रालय FRA लाभार्थियों को 150 दिनों का वेतन रोजगार प्रदान करता है, भूमि स्वामित्व वितरण को बढ़ावा देता है और झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में लाखों लोगों को लाभान्वित कर है.

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वित्तीय वर्ष 2023-24 में, MGNREGA ने 17,752 परिवारों को 100 दिनों का रोजगार दिया, जिसमें 100 दिनों से ज़्यादा 4,47,825 person-days शामिल हैं. इसके अलावा, कार्यक्रम 1.32 करोड़ एकड़ भूमि को कवर करते हुए 1.3 लाख Community Forest Rights (CFR) में वनीकरण, जल संरक्षण और कृषि सुधार जैसी अलग-अलग परियोजनाओं का समर्थन करता है.

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ग्राम सभाओं को सशक्त बनाते हैं MGNREGA और Forest Rights Act

MGNREGA और Forest Rights Act -दोनों अधिनियम ग्राम सभा को सशक्त बनाते हैं, जिससे आदिवासी आबादी को स्थानीय नीतियों में निर्णाय लेने का अधिकार मिलता है. इस समावेशी दृष्टिकोण से रोजगार में बढ़ोतरी, उच्च कृषि उपज और ग्रामीण रोजगार कार्यक्रमों के साथ संरक्षण प्रयासों को बढ़ावा मिलता है.

MGNREGA और FRA से होगा पर्यावरणीय लाभ

MGNREGA के जल संरक्षण और वनीकरण पहल से ग्राउंडवॉटर लेवल, पेयजल उपलब्धता और फॉरेस्ट एरिया में काफी  सुधार हुआ है. मिट्टी और जल संरक्षण से संबंधित परियोजनाएं वन संरक्षण में योगदान देती हैं, जो पर्यावरण संरक्षण के लिए आदिवासी आबादी को सशक्त बनाने की रणनीतिक अनिवार्यता पर जोर देती हैं.

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वन-निर्भर समुदायों के विकास के लिए ज़रूरी है MGNREGA और FRA का एकीकरण

वन-निर्भर समुदायों के विकास के लिए ऐसी योजनाओं की ज़रुरत है जो MGNREGA को वन अधिकार क्षेत्रों के साथ मिला सके. सस्टेनेबल लैंड यूज़ प्रैक्टिसेज से जुड़ी नर्सरी प्रबंधन और वाटरशेड विकास जैसी गैर-कृषि गतिविधियों की से आजीविका में विविधता आ सकती है.FRA उद्देश्यों के साथ MGNREGA परियोजनाओं को साथ लाने के लिए ग्राम सभाओं और वन प्रबंधन समितियों को शामिल करना, स्थानीय स्तर पर सहयोगात्मक योजना बनाना ज़रूरी है.

लिंग-समावेशी सशक्तिकरण अहम पहलू है, जो MGNREGA में महिलाओं को शामिल करने और लैंगिक समानता हासिल करने में उनके भूमि अधिकारों को मान्यता देता है. रूरल-अर्बन माइग्रेशन को रोकने के लिए, FRA के सुरक्षित भूमि कार्यकाल और MGNREGA के रोजगार के अवसरों का लाभ उठाना होगा. उन परियोजनाओं पर ध्यान देना होगा  जो स्थानीय रोजगार पैदा करते हैं.

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कौशल विकास और उच्च शिक्षा जैसे दूसरे विभागों के साथ सहयोग करके जमीनी स्तर पर कुशल कार्यबल विकास को प्राथमिकता देनी होगी. समुदायों को FRA अधिकारों के बारे में शिक्षित करने, MGNREGA परियोजना से जोड़ने और टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए नागरिक समाज संगठनों, विशेष रूप से गैर सरकारी संगठनों के साथ साझेदारी को बढ़ावा देना होगा.

MGNREGA और FRA को एकसाथ लागू कर होगा समग्र विकास

वन क्षेत्रों में MGNREGA और FRA को एकसाथ लागू करने से समग्र विकास की अपार संभावनाओं के रास्ते खुल जाते हैं. समुदायों की जरूरतों को संबोधित करके और जिन रिसोर्सेस पर वे निर्भर हैं उसका पोषण करके, टिकाऊ ग्रामीण विकास को बढ़ावा दिया जा सकता है. जैसे-जैसे इस तालमेल को बढ़ावा दिया जायेगा, वैसे-वैसे आर्थिक रूप से सशक्त ग्रामीण भारत का लक्ष्य पूरा होता जायेगा.

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