MP के नक्सल प्रभावित इलाके में self help group की सदस्यों ने अपना मिशन बना लिया.अधिकांश किसान दीदियां अब organic farming के लिए प्रचार कर फायदा बता रहीं.balaghat जिले के सबसे संवेदनशील लांजी ब्लॉक में अधिकांश खेतों से chemical fertilizer का उपयोग बंद कर दिया.
traditional farming का समझाया महत्व और बना रहे organic fertilizer
बालाघाट जिले के लांजी ब्लॉक के चिचेवाड़ा गांव organic farming को लेकर चर्चा में है.गांव के दीपिका village organization की गुणेश्वरी लिल्हारे बताती है-"मैं पवन जैविक समूह की सदस्य हूं. मिशन से जुड़ने के बाद हमने जैविक समूह बनाया.मेरे पास 2 एकड़ ज़मीन है.पहले सालाना 15 हज़ार रुपए खर्च हो जाता.लागत भी नहीं निकलती.अब हम खुद जैविक खाद और कीटनाशक बना रहे. कमाई भी बढ़ गई."
पोषण वाटिका के लिए जैविक खाद तैयार करती हुई गुणेश्वरी (Image: Ravivar Vichar)
गांव के ही रचना cluster level federation में कई समूह और महिलाएं जुड़ीं.चिचोली ग्राम पंचायत की ये समूह सदस्य महिलाएं जैविक खाद का दूसरे किसान परिवारों को बेच अधिक कमाई करने लगीं.
पोषण वाटिका बनाकर सुधारी health,vegetables की बढ़ी मांग
चिचेवाड़ा में ही महिलाओं ने 10 स्वयं सहायता समूह गठित कर लिए.यहां महिलाओं ने जागरूकता अभियान अपने हाथ में लिया.
लांजी ब्लॉक के BM Rajaram Parte और ABM Sunita Chandne बताती हैं-"यहां SHG का महत्व भी महिलाओं को समझ आने लगा.यहां 130 से जयादा महिलाएं समूह की सदस्य बनी.organic farming के साथ सदस्य महिलाएं केंचुआ खाद और अन्य उत्पादन कर रहीं.गुणेश्वरी लिल्हारे को krishi sakhi भी बनाया गया.सभी 7 पंचायतों में यह ट्रेनिंग दे रही."
गुणेश्वरी और अन्य महिलाओं ने अपने ही परिसर में पोषण वाटिका बनाई.इससे सब्जियों का उत्पादन बढ़ने के साथ पौष्टिकता भी बढ़ गई.दूसरे गांव से डिमांड बढ़ी.लोगों के साथ समूह सदस्यों के स्वास्थ्य में भी फर्क पढ़ा.