हिमाचल में ट्रेडिशनल टेस्ट को SHG ने दिया नया फ्लेवर

हिमाचल में ट्रेडिशनल बनने वाले खाने के आइटम्स को SHG की महिलाओं ने नया फ्लेवर देकर चर्चा में ला दिया. सेब से बनाए जाने बाई प्रोडक्ट्स को अपना कर बड़ा कारोबार खड़ा कर लिया. कोटगढ़ की महिलाओं ने यह कमाल किया.

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विवेक वर्द्धन श्रीवास्तव
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हिमाचल में ट्रेडिशनल टेस्ट को

हिमाचल प्रदेश के कोटगढ़ में प्रोडक्ट्स तैयार करतीं समूह सदस्य (Image credit: Ravivar Vichar)

हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के कोटगढ़ (Kotgarh) में स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) की महिलाओं ने सेब का उपयोग कर उनकी ही विरासत (Traditional) से बनती आ रही जैम, चटनी, मूडी (मुरमुरे), बिच्छू बूटी (बिछुआ पत्ती की चाय), बोई (सूखे सेब) और ऐसी ही कई चीज़ों का कारोबार करने लगीं. 

फेस्टिवल से मिली विरासत प्रोडक्ट्स को नई पहचान 

हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh)  के पास  कोटगढ़  (Kotgarh) में पांच Self Help Group से जुड़ी महिलाओं ने सेब से बनाए जाने  ट्रेडिशनल प्रोडक्ट्स को शिमला समर फेस्टिवल  (Shimla Summer Festival) में रखे. यहां इन समूह द्वारा तैयार प्रोक्ट्स को बहुत पसंद किया गया. देखते ही देखते समूह की महिलाओं को प्रदेश के बाहर भी पहचान मिल गई.

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कोटगढ़ में तैयार ट्रेडिशनल प्रोडक्ट्स (Image credit: Gaon Connetion)

कोटगढ़ वैली विलेज ऑर्गेनाइजेशन (Village Organization) की अध्यक्ष पूनम चौहान का कहना है- "हमने अपने ही परिवार की बुज़ुर्ग महिलाओं से मार्गदर्शन लिया. हमारे समूह में शामिल युवा लड़कियों ने इसे नया फ्लेवर देकर स्वाद बढ़ा दिया. इसका लाभ हमें मिला." 

शुरू में 35 महिलाओं ने इसकी शुरुआत की अब 46 महिलाएं जुड़ चुकीं हैं. इन सभी आइटम्स को मॉडर्न तरिके से प्रदर्शनी में रखा. इसका प्रभाव ग्राहकों पर पड़ा.  

ग्राम संगठन (Village Organization) से जुड़ी सुचिता कहती है- "ये सभी आइटम्स तो हम अपने घर में बनते देखते थे. कभी सोचा न था कि यह कमाई का इतना बड़ा जरिया बन जाएगा."

समर फेसिटवल में डेढ़ लाख की कमाई 

ऐसा माना जाता है कि साल 1916 में सेब के बागान की शुरुआत हुई. इसके बाद से से ही इस सेब से दूसरे आइटम्स यहां की महिलाएं घरों में बनाने लगीं. शिमला समर फेस्टिवल (Shimla Summer Festival) में सेल्फ हेल्प ग्रुप (Self Help Group) की महिलाओं ने लगभग डेढ़ लाख रुपए की कमाई की.  ग्रामीण राज्य आजीविका मिशन (SRLM) के प्रभारी अनिल शर्मा (Anil Sharma) बताते है- "यह बढ़ीं उपलब्धि है प्रदेश में महिलाओं द्वारा घर में बनाई जाने वाले चीज़ों का कमर्शियल सेल से उपयोग हुआ. इसमें मार्केटिंग बढ़ाने के प्रयास सरकार कर रही है. महिलाओं ने अपने जैम और चटनी बनाने के उद्यम को बढ़ाने के लिए बड़े बर्तन और पैकेजिंग मशीनें खरीदी. " 

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समूह द्वारा तैयार ट्रेडिशनल पैक  प्रोडक्ट्स (Image credit: Gaon Connetion)

स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) की महिलाओं द्वारा तैयार प्लम जैम 300 रुपए  प्रति किलो और सेब जैम 400 रुपए किलो के बीच बिकता है.मूडी का 250 ग्राम का पैकेट 130 रुपए में और चटनी 300 रुपए  किलो तक बिक रही.

SRLM के इंचार्ज अनिल शर्मा (Anil Sharma) आगे बताते हैं- "समूह की महिलाएं इसके अलावा हर्बल कलर्स, दीवाली पर दीये बना कर भी कमाई कर रहीं हैं."  

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