समझ और ज्ञान से भरपूर विद्योत्तमा

ज्ञानी और प्रतिभाशाली पत्नी विद्योत्तमा के बारे में बहुत कम जानकारी होने के कारण उन्हें कम लोग जानते हैं. विद्योत्तमा इतिहास में रहस्यमय व्यक्ति है क्योंकि ऐतिहासिक लेखों और साहित्यिक कामों में कुछ ही स्थानों पर उनका जिक्र है.

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हेमा वाजपेयी
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महाकवि और नाटककार कालिदास (Kalidas), जिन्हें "भारत के शेक्सपीयर" (Shakespeare of India) के रूप में भी जाना जाता है. पर उनकी सफलता के पीछे उनकी ज्ञानी और प्रतिभाशाली पत्नी विद्योत्तमा (Vidyotma) के बारे में बहुत कम जानकारी होने के कारण उन्हें कम लोग जानते हैं.

विद्योत्तमा इतिहास में रहस्यमय व्यक्ति है क्योंकि ऐतिहासिक लेखों और साहित्यिक कामों में कुछ ही स्थानों पर उनका जिक्र किया गया है. उनके जीवन की कोई आत्मकथा नहीं है. साथ ही कालिदास के व्यक्तिगत जीवन के बारे में कोई रिकॉर्ड न होने के कारण विद्योत्तमा की ज़्यादा जानकारी नहीं है.

विद्योत्तमा की कालिदास से शादी की कहानी

इसी कारण विद्योत्तमा के बारे में अधिकांश ज्ञान संकेतात्मक है और अज्ञात संदर्भों पर निर्भर करता है. विद्योत्तमा पर सबसे लोकप्रिय किस्सों में से एक है, उनकी कालिदास से शादी की कहानी (Story of Vidyottama's marriage with Kalidas), और इस कथा का आधार किस्सों पर है.

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विद्योत्तमा किंग विक्रमादित्य की पुत्री थी. उनके माता-पिता ने उनका नाम "गुणमंजरी" (गुणों की माला) रखा था, और उन्होंने आचार्य वररुचि से शिक्षा ली. बारह साल की उम्र में, गुणमंजरी गुरुओं द्वारा सिखाए गए सभी क्षेत्रों में माहिर हो गई, जैसे  शैक्षिक, प्रदर्शनी कला और विज्ञान. इसीलिए उन्हें "विद्योत्तमा" (वह सभी शिक्षा के क्षेत्रों में अग्रणी है) कहा जाने लगा.

उनकी उपलब्धियों के कारण, राष्ट्रभर से राजा और राजकुमार उनके साथ विवाह करना चाहते थे. हालांकि राजा विक्रमादित्य ने तय किया कि वह विद्योत्तमा का हांथ उसी को देंगे जो विद्योत्तमा से ज़्यादा बुद्धिमान हो.

विद्योत्तमा अहंकार से भरी थीं. अपने पिता के दरबार में सभी बुद्धिमान के साथ ही अपने शिक्षक वररुचि का भी मजाक बनाया. उनके इस व्यवहार से दरबार के बुद्धिमान लोग आक्रोशित हो गए और उन्हें सबक सिखाने का निश्चय किया. 

कालिदास का मौन व्रत

एक दिन उन्होंने एक आदमी को देखा जो पेड़ की डाल पर बैठकर उसे काटने का प्रयास कर रहा था. तभी उन्होंने निश्चय किया यह मुर्ख है और इसी से विद्योत्तमा की शादी करवानी है. उस आदमी का नाम कालिदास था. दरबार के लोगों ने उसे अच्छे वस्त्र पहनाकर दरबार में प्रस्तुत किया. उस दिन वह मौन व्रत (चुप रहने का व्रत) (Kalidas's vow of silence) का पालन कर रहे थे.

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कालिदास का विद्योत्तमा के साथ शास्त्रार्थ

विद्योत्तमा का कालिदास के साथ वाद शुरू हुआ (Kalidasa's discussion with Vidyotma) उन्होंने अपनी इंडेक्स फिंगर दिखाई जिसका अर्थ ब्रम्हा एक है था. कालिदास ने सोचा कि राजकुमारी उन्हें आंख चुभाने की धमकी दे रहीं उन्होंने जवाब में दो उंगलियां दिखाई ताकि वह उनकी दोनो आंखे चुभा सके. दरबार के विद्वानों ने विद्योत्तमा को बताया कि कालिदास कह रहे है कि वास्तव में भगवान एक ही है और दूसरा, व्यक्ति आत्मा है. 

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विद्योत्तमा ने अपनी हथेली खोलकर दिखाया कि पांच इंद्रिय होती हैं. फिर से, कालिदास ने गलत समझा और उन्हें मुट्ठी दिखाई यह सोचकर की वह उन्हें झापड़ मरना चाहती है. दरबार के विद्वानों ने उसके जवाब का व्याख्यान करते हुए विद्योत्तमा को बताया कि पांच इंद्रियों पर शासन करना ही अंततः महानता का तरीका है.

कालिदास की विद्योत्तमा से शादी 

कालिदास से प्रभावित होकर विद्योत्तमा ने उनसे शादी करने का निर्णय लिया. पर उन्हें जल्द ही ज्ञात हुआ कि उनके पति अशिक्षित और मूर्ख हैं. कालिदास ने ज्ञान प्राप्त करने के लिए महल छोड़ दिया. ज्ञान की खोज को प्रारंभ करने में उनकी पत्नी विद्योत्तमा का हांथ था.

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विद्योत्तमा को कहानियों को अत्यधिक घमंडी के रूप में प्रस्तुत किया गया है.  सवाल यह है कि क्या उस समय के 'बुद्धिमान पुरुषों' को सिर्फ एक महिला द्वारा हार उनसे सहन नहीं हो रही थी और इसलिए वह किसी भी तरह से उसके स्थान से हटाने कि साजिश कर रहे थे.

महिला का शिक्षित होना कितना जरुरी

'एक महिला को उसके स्थान पर रखने' का यह विचार, समाज में बहुत चिंताजनक है, क्योंकि गुप्त काल को 'स्वर्णिम काल' के रूप में सराहा जाता है, जहां महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार दिए जाते थे. विद्योत्तमा की कहानी से सिद्ध होता है कि महिला का शिक्षित (women education) होना कितना जरुरी है. एक शिक्षित विद्वान होने के बावजूद, वह अपने युग के पुरुषों की तरह ही समान विशेषाधिकारों का आनंद नहीं लेती थीं.

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इतिहास में महिलाओं के योगदान और प्रभाव को अक्सर अनदेखा किया गया है, विशेष रूप से साहित्य और कला क्षेत्र में, चाहे वह एक ऐतिहासिक व्यक्ति हो या कालिदास की कल्पना का एक प्रतीक.

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