गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2023), भगवान गणेश के त्योहार (Ganesh Festival) पर, देश भर के लोगों में खुशी और उत्सव का माहौल है. गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi in Hindi) के उत्सव में अलग-अलग समुदायों में पारंपरिक और नवाचारिक प्रथाओं का संगम होता है. देश भर से कुछ भगवान गणेश की झाकियां और प्रतिमाएं देखने को मिलती हैं.
SHG बना रहे गणेश मूर्तियां
सरगुजा (Sarguja), छत्तीसगढ़ (Chattisgarh) में स्वयं सहायता समूह की आदिवासी महिलाओं ने गणेश पूजा के लिए भगवान गणेश की मूर्तियां तैयार की. शहर में 15,000 से अधिक सेल्फ हेल्प ग्रुप्स की महिलाओं (women self help groups) को स्वरोजगार मिला. कुछ महिला स्वयं सहायता समूह 1 लाख रुपये से ज़्यादा सालाना आय अर्जित कर रहे हैं. गणेश उत्सव, SHG महिलाओं की त्योहार की खुशी के साथ उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त कर महिला सशक्तिकरण (Women Empowerment) की राह पर अग्रसर कर रहा है.
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पुडुचेरी में ईको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा
पुडुचेरी (Puducherry) में भी गणेश उत्सव की धूम देखने को मिल रही है. छात्रों ने मिलकर 15 फुट की ईको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा (eco-friendly ganesh murti) रखी है, जो 450 किलोग्राम कागज और 200 किलोग्राम गोंद से बनी है. इस मूर्ति में ख़ास बात यह है कि इसमें बीजों को भी शामिल किया गया है, जिससे विसर्जन के बाद नए पौधे लगेंगे और पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी.
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विकलांग बच्चों को ईको फ्रेंडली गणेश मूर्ति बनाने की दी गई ट्रेनिंग
नवी मुंबई में ईको फ्रेंडली और समावेशिता फैलाने पर ध्यान दिया गया है. नवी मुंबई नगर निगम के शिक्षा, ट्रेनिंग और सेवा सुविधा केंद्र (Education, Training and Service Facility Center, ETC) ने विकलांग बच्चों (Children with Disablility) के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन किया. इन बच्चों को ईको फ्रेंडली गणपति मूर्तियां (Eco Friendly Ganesh Idol) बनाने की कला के साथ, कला और पर्यावरण को जोड़ते हुए मिट्टी में तुलसी के बीज भी लगाए गए.
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प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी गणेश मूर्ति
मुंबई (Mumbai) में भगवान गणेश (Lord Ganesh) की अठारह फुट ऊंची पर्यावरण-अनुकूल कागज की मूर्ति रखी गई है. कारीगरों ने पारंपरिक प्लास्टर ऑफ पेरिस (plaster of paris, POP) को ईको फ्रेंडली कागज (eco friendly paper) से बदलकर मूर्ति बनाई है. यह मूर्तियां चार घंटे के अंदर पानी में घुल जाती हैं, जिससे पर्यावरण को नुक्सान नहीं पहुंचता है.
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अलग-अलग आकार और डिजाइन की गणपति मूर्तियां बना रहे SHGs
महासमुंद, छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में, मां चंद्रहासिनी महिला स्वयं सहायता समूह (women self help groups) गणेश मूर्तियां (ganesh murti) बनाकर आर्थिक रूप से सशक्त हो रहे हैं. ग्रामीण औद्योगिक पार्क विकास प्राधिकरण (आरआईपीए) योजना (Rural Industrial Park Development Authority Scheme) के तहत अलग-अलग आकार और डिजाइन की गणपति मूर्तियां (Ganesh Idol) बना रहे हैं. इससे SHG महिलाओं की आमदनी बढ़ रही है और वह आत्मनिर्भर बन रही हैं.