किचन गार्डन में organic seeds उगाने से सफलता तक का सफर

महाराष्ट्र नागपुर जिले के मौदा तालुक के पिंपलगांव गांव की निवासी सुनीता अंबादास चाफले. इन्होंने अपने किचन गार्डन में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रकार के सब्जियों के बीज उगाई है.

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रिसिका जोशी
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organic farming seeds

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आर्गेनिक उत्पादों की मांग मार्केट में तेज़ी से बढ़ती दिख रही है और इसी मांग को पूरा करने के लिए सरकार से लेकर किसानो तक सब सामने आ रहे है. सिर्फ किसान ही नहीं बल्कि आम लोग भी organic products को उगाने और culture करने में interest दिखा रहे है.

महाराष्ट्र नागपुर की महिला किचन गार्डन में आर्गेनिक बीजें

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Image Credits: The wire science

ऐसी ही एक महिला है (Maharashtra news hindiमहाराष्ट्र नागपुर (Nagpur news hindi) जिले के मौदा तालुक के पिंपलगांव की निवासी सुनीता अंबादास चाफले. इन्होंने अपने किचन गार्डन में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रकार के सब्जियों के बीज उगाई है. निज़ामाबाद में Sai Vegetables and Fruits Growers Mutually Aided Cooperative Society द्वारा आयोजित एक मेले में अपनी कहानी सुनाते हुए, सुनीता ने कहा कि उनकी यात्रा उनके पैतृक गांव से 42 विभिन्न सब्जियों और पत्तेदार हरे बीजों की खरीद से शुरू हुई. इसके बाद उन्होंने अपने घर पर एक किचन गार्डन स्थापित किया.

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आर्गेनिक फार्मिंग है भविष्य

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Image credits: Organic world

हर साल, उसके बगीचे में तीन से चार फ़सलें पैदा होती हैं, जिससे 60 किलोग्राम से अधिक विभिन्न सब्जियाँ मिलती हैं और वह इन्हे अपने स्थानीय पड़ोस में बेचती है. इसके अतिरिक्त, वह special meals के दौरान इन बीजों की marketing भी करती है. पिछले दो वर्षों में, उन्होंने जैविक बीजों के महत्व (organic farming seeds) की वकालत करते हुए तीन ऐसे आयोजनों में सक्रिय रूप से भाग लिया है. गौर करने वाली बात ये है कि उपभोक्ता जैविक उत्पादों के मूल्य को तेजी से पहचान रहे हैं और स्वेच्छा से इन वस्तुओं में निवेश कर रहे हैं.

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उनके घर में बेर के दो पेड़ हैं, जिनमें सर्दी के मौसम में फल लगते हैं, जिन्हें वह इकट्ठा करती है और बाज़ार में बिक्री के लिए जैविक संरक्षण विधियों का उपयोग भी करती हैं. केवल 12वीं कक्षा तक पढ़ाई और रोजगार के अवसरों की कमी के बावजूद, सुनीता को अपने किचन गार्डन उद्यम के माध्यम से वित्तीय स्थिरता मिली.

आर्गेनिक फार्मिंग से जुड़ेंगे स्वयं सहायता समूह

वे महिलाओं के लिए शैक्षणिक संस्थानों में जिम्मेदारियां लेकर अपनी आय बढ़ाने की क्षमता के महत्व पर ज़ोर भी दे रहीं है. मेले के दौरान, नाबार्ड के उप महाप्रबंधक दीप्ति सुनील ने उनके प्रयासों की सराहना की और महिला स्वयं सहायता समूहों (maharashtra self help group) को जैविक कृषि उत्पादों का उपयोग करके खाद्य पदार्थों के उत्पादन में अवसर तलाशने के लिए प्रोत्साहित किया. उन्होंने जैविक उत्पादों की बढ़ती बाजार मांग पर भी प्रकाश डाला.

यह एक तेज़ी से आगे बढ़ रहा field है, जिसमें अगर काम किया जाए तो आगे बढ़ना बहुत आसान है. अभी भी काफी कम लोग  इस क्षेत्र में सामने आए है. महिलाओं को अपनी आजीविका का एक बहुत बेहतरीन स्त्रोत मिल सकता है organic farming के रूप में.

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