IPS इल्मा अफ़रोज़ ने विदेशी नौकरी की जगह चुनी देश सेवा

आईपीएइस इल्मा अफ़रोज़ ने साल 2017 में UPSC CSE में हासिल की 217th रैंक. स्कॉलरशिप से स्कूल से लेकर ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी तक पढ़ाई की. महात्मा गांधी से प्रेरित इल्मा, अपनी शिक्षा और अनुभवों का इस्तेमाल देश के लिए कर रहीं है.

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हेमा वाजपेयी
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आईपीएस इल्मा अफ़रोज़ (IPS Ilma Afroz) की यह दास्तान हमें दिखाती है कि जब मन और उत्साह सही दिशा में होते हैं, तो किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है. इल्मा उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद (Muradabad, Uttar Pradesh) जिले के कुन्दरकी नाम के छोटे से गांव से आती है. पर उनकी मेहनत और संघर्ष ने उनके सपनों को न्यूयॉर्क जैसे बड़े शहर से पूरा करने का मौका दिया.

इल्मा की कहानी संघर्षों से भरी है. जब वह सिर्फ 14 साल की थी, उनके पिता की कैंसर की वजह से मृत्यु हो गई. उनकी मां ने उनके साथ छोटे भाई को संभाला.

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स्कॉलरशिप से की ग्रेजुएशन से पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई

मां ने दहेज़ और शादी के लिए पैसे बचाने की बजाय इल्मा की पढ़ाई में लगाया. सीनियर सेकेंडरी उन्होंने अच्छे नम्बरों से उत्तीर्ण की. इलमा ने ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की पूरी पढ़ाई स्कॉलरशिप से की. उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी (Delhi University) के सेंट स्टीफेंस कॉलेज (St. Stephen's College Delhi) में फिलॉसफी में ग्रेजुएशन (Graduation in Philosophy) किया. इल्मा मेधावी छात्रा थी, उन्हें ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) में पढ़ने के लिए भी स्कॉलरशिप मिली.

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रोजमर्रा के खर्च के लिए पार्ट-टाइम जॉब की 

विदेश में पढ़ाई का सफर इलमा के लिए आसान न था. उन्हें कॉलेज की फीस के लिए तो स्कॉलरशिप मिली, पर बाकि रोजमर्रा के खर्च जैसे किताबें और गर्म कपड़े खरीदने के लिए उन्होंने तरह-तरह की पार्ट-टाइम जॉब जैसे बच्चों को पढ़ाना, यहां तक की लोगों के घरों में बर्तन तक धोये

इलमा कहती है, "मेहनत के काम करने में शर्म नहीं आनी चाहिए. अगर किसी मुसीबत में फंस गए, तो उससे निकलने के लिए मेहनत करो."

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विदेशी नौकरी छोड़कर भारत आई 

यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) के बाद, वह न्यूयॉर्क (New York) गई. मैनहट्टन (Manhattan) में स्वैछिक सेवा कार्यक्रम (voluntary service program) का हिस्सा बनी. घर की याद आने पर मैनहट्टन में अकेला महसूस करती थी. उन्हें वहां नौकरी का, पीएचडी (Phd) करने का ऑफर भी मिला, दोस्तों ने रोका भी, पर देश और अपनी मां के लिए कुछ करने की चाह उन्हें वापस भारत खींच लाई.

पास किया UPSC सिविल सर्विसेज एग्जाम

इल्मा महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) से प्रेरित है. अपनी शिक्षा और अनुभवों का इस्तेमाल कर देश के लिए कुछ करना चाहती थी. जब वह भारत लौटी, तो रिश्तेदारों और पड़ोसियों ने राशन कार्ड और फॉर्म भरने जैसी साधारण चीज़ों में मदद मांगी. तब उन्होंने ठाना कि भारत में रह कर ही लोगों के लिए कुछ करेंगी. बस फिर क्या था, UPSC सिविल सर्विसेज (UPSC Civil Services Exam) में आवेदन किया.

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साल 2017 में इलमा ने 217th रैंक हासिल की. पहला कैडर हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) मिला. इलमा आज और भी लड़कियों को प्रेरित कर रहीं है कि किसी लक्ष्य को पाने के लिए बस आपकी मेहनत की ज़रूरत है. 

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