POCRA को समान रूप से लागू कर मिलेगा Sustainable Agriculture को बढ़ावा

राज्य के 36 जिलों में से 16 में प्रोजेक्ट ऑन क्लाइमेट रेसिलिएंट एग्रीकल्चर (POCRA) लागू किया जा रहा है. जलवायु लचीला कृषि पर यह परियोजना नानाजी देशमुख कृषि संजीवनी प्रकल्प की नाम से भी जानी जाती है.

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मिस्बाह
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POCRA Sustainable Agriculture

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क्लाइमेट चेंज चुनौतियों (climate change challenges) से निपटने के लिए किसान अपने खेती करने के तरीके में बदलाव ला रहे हैं. इस दिशा में 2018 से, महाराष्ट्र के किसान (Maharashtra farmers) भी एक अनोखे प्रोजेक्ट से जुड़े हैं. 

4,000 करोड़ रुपये के साथ हुई POCRA की शुरुआत

राज्य के 36 जिलों में से 16 में प्रोजेक्ट ऑन क्लाइमेट रेसिलिएंट एग्रीकल्चर (Project on Climate Resilient Agriculture -POCRA) लागू किया जा रहा है. जलवायु लचीली कृषि (पोक्रा) पर यह परियोजना नानाजी देशमुख कृषि संजीवनी प्रकल्प की नाम से भी जानी जाती है. 

POCRA climate resilient farming

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“पोक्रा की शुरुआत 4,000 करोड़ रुपये के बजट के साथ हुई थी. किसी दूसरे राज्य में ऐसी जलवायु-लचीली कृषि परियोजना नहीं है.” महाराष्ट्र के कृषि विभाग के अग्रोनॉमिस्ट और सॉइल साइंस स्पेशलिस्ट, विजय कोलेकर ने बताया. इस राशि में से 70 प्रतिशत विश्व बैंक का ऋण है, जबकि 30 प्रतिशत राज्य सरकार का हिस्सा है.

किसानों की 25 तरह की ज़रूरतों को पूरा करता है POCRA

यह परियोजना डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) पर आधारित है. किसान, समुदाय, किसान उत्पादक संगठन/कंपनियां (FPOS/FPCS) और स्वयं सहायता समूह (SHG) आधिकारिक वेबसाइट - dbt.ma- hapocra.gov.in पर रजिस्टर कर सकते हैं. ड्रिप सिंचाई, गोदाम निर्माण, बीज उत्पादन और कृषि मशीनीकरण जैसी 25 तरह की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए राशि का इस्तेमाल किया जा सकता है.  

नानाजी देशमुख कृषि संजीवनी प्रकल्प, बुलढाणा के परियोजना विशेषज्ञ, उमेश जाधव कहते हैं, ''हमने किसान-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाया है, जहां किसान हमें बताता है कि वह क्या चाहता है, न कि राज्य उसे बताता है कि उसे क्या करना है.'' 

असमान वितरण की चुनौती आई सामने 

POCRA योजना के तहत कुछ जिलों को धन का बड़ा हिस्सा प्राप्त हुआ है. दिल्ली स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट द्वारा प्राप्त महाराष्ट्र कृषि विभाग के आंकड़ों से पता चला है कि 60 प्रतिशत से ज़्यादा धनराशि (3,560.55 करोड़ रुपये में से 2,151.85 करोड़ रुपये) 16 जिलों में से केवल तीन में गई है: औरंगाबाद (26.1 प्रतिशत) ), जालना (18.8 प्रतिशत) और जलगांव (15.6 प्रतिशत).

women farmer

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डेटा से पता चलता है कि परियोजना फंड का बड़ा हिस्सा कुछ जिलों में केंद्रित किया गया है, जिससे असमान वितरण से जुड़ी चिंताएं बढ़ गई हैं. सिर्फ कुछ चुनिंदा जिलों में सीमित संख्या में ही किसानों को फायदा पहुंच रहा है, जबकि कृषि संकट पूरे महाराष्ट्र में है. आलोचकों का मानना है कि राजनीतिक फायदों को नज़र में रखते हुए जिलों का चयन किया गया, और कुछ कमजोर जिलों को प्रोजेक्ट से बाहर रखा गया. 

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ज़्यादा से ज़्यादा किसानों को योजना से जोड़ने की है ज़रुरत 

कृषि जनगणना 2015-16 के अनुसार, महाराष्ट्र में 15.29 मिलियन कृषि भूमि है. लेकिन 1.22 मिलियन से भी कम किसानों ने पोक्रा वेबसाइट पर पंजीकरण कराया है. परियोजना दस्तावेजों के अनुसार, पोक्रा के तहत 16 जिलों में किसानों की संख्या लगभग 5.8 मिलियन है.

POCRA climate resilient farming

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महाराष्ट्र में कृषि में जलवायु लचीलेपन को संबोधित करने में POCRA सकारात्मक प्रभाव डाल रहा है, लेकिन सिर्फ कुछ ही जिलों में. POCRA का फायदा सभी ज़रूरतमंद जिलों में समान रूप से पहुंचे यह सुनिश्चित करने के लिए निष्पक्ष नीति बनाने की ज़रुरत है. POCRA को सही ढंग से लागू कर सस्टेनेबल फार्मिंग को बढ़ावा मिलेगा और किसान क्लाइमेट रेसिलिएंट फार्मिंग को आसानी से अपना सकेंगे.

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