ग्रुप फार्मिंग (group farming) सिखाने वाला सत्यमेव जयते फार्मर कप, समूह शक्ति के बीज भी बो रहा है. यह प्रतियोगिता एक दूसरे से जीतने की नहीं, बल्कि एक दूसरे के साथ जीतने का ज़रिया बन रही है.
सत्यमेव जयते फार्मर कप 2023 -24 से मिली नई ताकत
पानी फाउंडेशन (Paani Foundation success stories) द्वारा आयोजित फार्मर कप 2023 -24 में महाराष्ट्र के 750 से ज़्यादा महिला ग्रुप्स हिस्सा ले रहे हैं. ये महिलाएं सिर्फ जीत के लिए नहीं, खेती जैसे पुरुष-प्रधान क्षेत्र में अपनी जगह बनाकर स्वावलंबी बनने के लिए इस अनोखी प्रतियोगिता में हिस्सा ले रही हैं. फार्मर कप (Satyamev Jayate Farmer Cup) से जुड़ी ऐसी प्रभावशाली महिलाओं को जानते हैं जिन्होंने न सिर्फ ग्रुप फार्मिंग अपनाई, पर इस ग्रुप में परिवार जैसी ताकत, एक-दूसरे का साथ और अपनों का स्नेह भी खोजा.
पुरुष और महिला गट आए साथ
फार्मर कप 2023 में देवला सरसा, अम्बेजोगाई की महिलाओं ने भी हिस्सा लेने का सोचा. खेती में कोई ख़ास अनुभव तो नहीं था, पर कुछ नया सीखने की चाह और जज़्बा पूरा था. पुरुष किसानों से मदद मांगी, पर अपने कम्पीटीटर की मदद भला कौन करता है?
लेकिन, महिलाओं की ज़िद के आगे पुरुषों ने उनकी मदद करने का फैसला किया. सवालों का जवाब देकर, बार-बार सिखाकर, और उनके साथ खेतों में दिनभर काम कर पुरुष परेशान हुए. पर, महिलाओं की ख़ुशी और जज़्बा देखकर वह मदद करते रहे.
एक महिला किसान (women farmer) ने अपने पति से ट्रक्टर सीखने की ज़िद की. और, धीरे-धीरे उनके साथ कई महिलाओं ने ट्रेक्टर चलाना भी सीख लिया.
एक दिन, खेत पर काम ख़त्म हो जाने के बाद, महिलाओं ने पुरुषों को अनोखे अंदाज़ में उनकी मदद के लिए धन्यवाद किया. एकता का उत्सव मनाया. तरह-तरह का पकवान परोसा. ख़ुशी के आंसू, दोस्ती, और उम्मीद के बीच टीम स्पिरिट का नया अध्याय शुरू हुआ. महिला और पुरुष किसानों ने हमेशा साथ काम कर खेती को नई दिशा में ले जाने का संकल्प लिया.
हर बार मिली समूह की मदद
ग्रुप फार्मिंग के तरीके सीख परिवार की आमदनी में योगदान देने के लक्ष्य के साथ धामनगांव गांव, खुलताबाद की रंजना फार्मर कप में हिस्सा लेकर समूह से जुड़ गई. कपास की खेती शुरू की. बारिश ने भी साथ दिया. लेकिन, एक दिन करीब 100 हिरणों ने पूरी फसल खराब कर दी.
समूह की महिलाओं ने अपने बचे हुए कपास की बीज देकर दोबारा उन्हें बोने में मदद की. हिरणों द्वारा दोबारा फसल खराब करने पर रंजना हार मानने लगी. समूह की महिलाएं एक बार फिर उनकी मदद के लिए आगे आईं. उन सभी ने मिलकर पैसे इकट्ठे किये और तार फेंसिंग करवाई. समूह सदस्यों के साथ ने रंजना को फिर से खेती करने की हिम्मत दी.
यह भी पढ़ें: किसान महिलाओं को जीत का रास्ता दिखाती रणरागिनी शोभाताई
हर सदस्य ने दिया अहम योगदान
खातव तालुका के भोसरे गांव की महिलाएं अपने अटूट जज़्बे, मेहनत, और जीतने की लगन की वजह से पूरे महाराष्ट्र के लिए उदाहरण बन गई. समूह की संयोजक वैशाली गर्भावस्था में स्वास्थ्य समस्याओं से जूझने के बाद भी समूह से जुड़ी रहीं और ट्रेनिंग में मिली जानकारी को सदस्यों के साथ बांटती रहीं. सी-सेक्शन के 8 दिन बाद ही वह समूहों का साथ देने लौट आई.
इसी ग्रुप की सदस्य भारती डिलीवरी के बाद अपने पैर के साथ उम्मीद भी गंवा बैठी थी. अकेले खेत में काम करना मुश्किल हो गया था. समूह से जुड़ भारती को न सिर्फ वापिस खेती करने की ताकत मिली, पर समूह से मिले साथ ने उन्हें हिम्मत भी दी.
कहीं किसी गट ने दूसरे गट के साथ तकनीक और सही जानकारी साझा की, तो कहीं श्रम दान किया. कहीं किसी महिला लीडर ने गांव में महिलाओं को समूह से जोड़ महिला सशक्तिकरण (women empowerment) का लक्ष्य पूरा किया, तो कहीं महिलाओं और पुरुषों ने साथ काम कर एकता का उदाहरण पेश किया. पानी फाउंडेशन के फार्मर कप से जुड़ी इस तरह की कई कहानियां मिल जाएंगी जो उम्मीद, बदलाव, और बेहतर कल की ओर इशारा करती हैं.