पौधों की हरियाली के साथ खिले चेहरे

किसी समय मजदूरी करने वाली एक महिला को साथ मिला और नर्सरी को अपनाया. पौधों की हरियाली के साथ ही इस आदिवासी महिला के चेहरा खिल उठा.यह कहानी एक उस गरीब महिला की है जो मजदूरी में भी पेट नहीं पा रही थी.     

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सीड बॉल्स निर्माण चर्चा में था अवार्ड के साथ मंत्री निर्मला भूरिया और कलेक्टर नेहा मीणा (Image: Ravivar Vichar)

MP के Jhabua जिले के खेड़ी कल्याणपुरा गांव की रहने वाली गंगा बाई बिमल भमोर ने self help group ज्वाइन किया. मजदूरी के काम से निकल कर Nursery का काम शुरू किया.इस काम में खुद आत्मनिर्भर हुई और परिवार को मदद कर रही.

Soil less टेक्निक से लगाई नर्सरी, plants पहले से बुक 

झाबुआ के खेड़ी कल्याणपुरा में गंगा बाई ने श्रीराम SHG ज्वाइन किया. गंगा बाई बताती है-"मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी.मुझे ब्लॉक मिशन अधिकारियों ने नर्सरी लगाने का तरीका सिखाया.लोन मिला और नर्सरी बनाई.

मैंने ट्रे में ही टमाटर,मिर्ची,बैगन के साथ गोभी के पौधे तैयार किए.इसके अलावा पपीता सहित कुछ और पौधे भी लगाए.मैं अभी तक 20 हज़ार रुपए के पौधे बेच चुकी.इसके साथ लगभग 25 हज़ार रुपए के पौधे लोग पहले से बुक कर गए."

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अपनी Nursery के बीच खड़ी गंगा बाई (Image: Ravivar Vichar)

गंगा बाई ने लगभग आधा बीघा जमीन पर यह नर्सरी तैयार की.  

झाबुआ में SHG द्वारा बढ़ी nursery की मांग 

गंगा बाई शुरू में परेशान थी. उसे ट्रेनिंग दिलवाई गई. Soil less palnts की जानकारी दी. झाबुआ Ajeevika Mission की Block Manager Tripti Bairagi ने बताया-"गंगा बाई को आजीविका मिशन के जरिए CCL लोन की मदद करवाई.नेट हॉउस,मेटिंग सहित अन्य फर्टिलाइज़र की जरूरतें पूरी करवाई.लगभग एक लाख के खर्च में नर्सरी बनाई.

ख़ुशी है पौधे तैयार होने के साथ ही लगातार किसान खरीद रहे."जिले में दूसरे समूह की महिलाओं में नर्सरी की मांग बढ़ी."

झाबुआ जिले में ही कलेक्टर DM IAS Neha Meena ने स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को रोजगार के अवसर देकर Seed Balls तैयार करवाए.खुद ने महिलाओं के साथ यह सीड बॉल्स बना कर हौसला बढ़ाया.इसके कारण झाबुआ  जिला सुर्ख़ियों में रहा और World Record बनाया.

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