मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में आदिवासियों (Tribal)की पहचान का हिस्सा रहा महुआ (Mahua) और उससे बनी शराब (Wine) को हैरिटेज़ (Heritage) का दर्ज़ा मिल जाने के बाद नई पहचान मिल गई. आदिवासियों के इलाके से निकल कर अब पब्स और बड़ी होटल्स में रखी जाने लगी.
महुआ ब्रांड से बढ़ा स्टेट्स, खुल रहे नए प्लांट
आदिवासियों (Traibals) को महुआ शराब (Mahua Liqour) अपने घरों में रखने पर प्रशासन द्वारा प्रताड़ित किया जाता था. अब इसी वाइन को बनाने के लिए प्रमोट किया जा रहा. साथ ही सरकार स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) से जुड़ी महिलाओं को भी इस कारोबार से जोड़ रही.
महुआ (Mahua) को हैरिटेज़ (Heritage) के साथ ब्रांड भी मिल गई. हाल ही में डिंडोरी (Dindori) जिले के भाखा माल गांव के गोंड जनजाति स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) ने अपना स्वयं का कारखाना खोला. यहां तैयार होने वाली स्परिट को लेकर समूह सदस्यों ने बताया- " हम लोगों ने प्रोडक्ट का 'मोहुलो' ब्रांड (Mohulo Brand )नाम दिया गया.साथ ही पैक को अट्रैक्टिव बनाने के लिए लोगो भी तैयार करवाया. इसमें जीवन का एक गुलाबी और हरा पेड़ दिखाया."
ब्रांडिंग की घोषणा होते ही बदला जीवन
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) सरकार ने जैसे ही महुआ (Mahua) से तैयार होने वाली शराब को हैरिटेज़ (Heritage) का दर्जा दिया. एक महिला का पूरा आर्थिक जीवन ही बदल गया. यह बात अलीराजपुर (Alirajpur) जिले के कट्ठीवाड़ा (Katthivada) की है. लाइसेंस लेकर प्रदेश में महुआ से शराब तैयार करने की फैक्ट्री खुली. फैक्ट्री की संचालक अंकिता भाबर बताती है- "प्लांट चलने की स्थिति नहीं थी. काम करने वालों को मैं सैलरी तक नहीं दे पाई. श्रमिक धमकी देने लगे. इस बीच सरकार ने महुआ वाइन को हैरिटेज़ घोषित कर नया रास्ता खोला. मेरा स्टॉक डिमांड बढ़ते ही ख़त्म हो गया."
मोंड ब्रांडेड महुआ वाइन (Image Credit: The Print)
सरकार की घोषणा के बाद ही पीले लेबल (yellow labe) पर उछलते घोड़े (prancing horse) के लोगो के साथ 'मोंड' ब्रांड (Mond Brand) नाम से भोपाल, इंदौर, रतलाम, नर्मदापुरम, छतरपुर सहित सरकारी होटलों और वाइन स्टोर्स से ऑर्डर मिलने लगे. लगभग 20 लाख रुपए की कमाई हुई.
एक्सपोर्ट से बढ़ेगी ट्राइब्स ट्रेडिशंस की पहचान
सरकार ने माना कि महुआ (Mahua) स्परिट को एक्सपोर्ट करने से MP की ट्राइब्स ट्रेडिशंस की पहचान को नया एंगल मिलेगा. इसके एडवांस फॉर्मेट से हाई प्रोफ़ाइल लोगों में भी पसंद बनने लगी. यहां तक कि "आदिवासी स्वयं सहायता समूहों को महुआ के फूलों का उपयोग करके शराब बनाने का अधिकार देकर यह एक ऐतिहासिक गलती को सुधारने का एक जरिया माना जा रहा."
पहले जहां उन्हें प्रताड़ित किया जाता रहा. धीरे-धीरे महुआ वाइन (Mahua Liqour) , गोवा की फैनी और केरल की ताड़ी की तरह अपनी जगह बना रही.