गरीबी में समूह को बनाया सहारा
मध्यप्रदेश (MP) के सागर (Sagar) जिले में एक महिला इन दिनों चर्चा में है. उसने गरीबी को मात दे दी. स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) को सहारा बना कर खुद को आत्मनिर्भर बनाया. साथ ही अपने बेरोजगार पति को भी काम से जोड़ रोजगार से लगा दिया. यह कहानी जिले के बंडा ब्लॉक के ग्राम पंचायत चौका भेड़ा की. यहां की सुरमा यादव ने आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) से जुड़ कर नया राधा कृष्ण स्वयं सहायता समूह (SHG) बनाया. इसमें दूसरी महिलाओं को भी जोड़ा. सदस्य बन कर काम में जुट गईं.
ट्रेनिंग से ट्रेन और कमाई हजारों में
सुरमा की कहानी बड़ी दिलचस्प है. सुरमा बताती है - "मैं 12 वीं तक पढ़ी और शादी हो गई. गरीबी के कारण घर चलाना मुश्किल हो गया. पति रामनाथ भी बेरोजगार थे. मई समूह से जुड़ी. सभी तरह की ट्रेनिंग ली.एक से दो और अब दस भैसें हैं. डेयरी से लाभ होने लगा. और भी पशु पलकों से दूध खरीदने लगे. रोज़ 400 से 500 लीटर दूध खरीद कर बंडा सेंटर पर प्लांट में भेज देते हैं. इससे मुझे 30 हजार रुपए से ज्यादा कमाई होने लगी." सुरमा के पति भी डेयरी प्लांट पर सुपरवाइज़र बन कर जॉब कर रहे.
सेंटर और सोशल ऑडिट एक्सपर्ट ने दी पहचान
इस समूह से सुरमा ने लोन भी लिया. सुरमा आगे बताती हैं- "मैंने 35 हजार का लोन लिया. सीएससी सेंटर डाला. अभी लगभग 15 गांव से कवर कर बिजली के बिल और दूसरी सेवाएं देती हूं. इससे इनकम बढ़ गई. बच्चों को अच्छे स्कूल भेज पा रहीं हूं. मुझे सोशल ऑडिट की ट्रेनिंग भी दी गई."
ब्लॉक में समूह की महिलाएं भी दूसरे काम में जुड़ कर कमाई कर रहीं. आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) के सागर (Sagar) जिला परियोजना प्रबंधक (DPM) अनूप तिवारी कहते है- "जिले में सभी समूह से जुडी महिलाऐं बढ़िया काम कर रहीं हैं. बंडा ब्लॉक में स्थापित डेयरी प्लांट से कई समूह को आर्थिक लाभ मिला. घरेलु महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिली." सागर के जिला पंचायत (ZP) सीईओ (CEO) पीसी शर्मा कहते हैं- "सागर में स्वयं सहायता समूह की सदस्य महिलाओं को लगातार ट्रेनिंग दी जा रही, जिससे वे नए-नए रोजगार से जुड़ सके. स्थानीय प्रोडक्ट्स को बढ़ावा दिया जा रहा है."