कशीदाकारी से बढ़ाया कारोबार, महिलाएं हुईं आत्मनिर्भर

MP में एक गांव ऐसा भी है जहां घर-घर महिलाएं embroidery work कर अपनी आर्थिक ज़िंदगी को निखार रहीं. इन महिलाओं ने खास तरह की कशीदाकारी सीख आत्मनिर्भर बनी.इन महिलाओं ने अपने दम पर कारोबार बढ़ा लिया.

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विवेक वर्द्धन श्रीवास्तव
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Embroidery Woman

सिलाई मशीन पर कशीदाकारी करती FPO सदस्य कला काग (Image: Ravivar Vichar)

MP के Tribal District Barwani अंतर्गत तलवाड़ा बुज़ुर्ग में महिलाओं की अलग पहचान है.ODOP में शामिल इस गांव में embroidery के बारीक़ काम करते हुए भी इन महिलाओं को कई साल हो गए.दूर-दूर से व्यापारी इन महिलाओं को कशीदाकारी का काम दे रहे. 

300 से ज्यादा घरों में सुनाई देती सिलाई मशीनों की आवाज़ 

बड़वानी जिले के तलवाड़ा बुज़ुर्ग गांव की आबादी लगभग 6 हज़ार है.यहां 300 से ज्यादा घरों में सिलाई मशीन की आवाज़ सुनाई देती है. हर घर में महिलाएं सुबह से देर शाम तक embroidery के काम में व्यस्त रहती. यहां तक कि exam के बाद परिवार के बच्चे भी इस काम से कमाई कर रहे. ये सभी FPO  (किसान उत्पादक संगठन) से जुड़ीं हैं.

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exam के बाद परिवार को सहयोग करती खुशबू चोयल  (Image: Ravivar Vichar)  

तलवाड़ा बुज़ुर्ग की कला बाई काग कहती हैं-"मुझे यह embroidery काम करते हुए कई साल हो गए. अलीराजपुर जिले के व्यापारी हमें ओढ़नी (पांच फिट की साड़ी नुमा) का कपड़ा भेजते हैं. हम इस ओढ़नी पर embroidery का काम कर वापस भेजते हैं. हमें 50 रुपए प्रति नग के हिसाब से पेमेंट हो जाता. दस से बारह हज़ार रुपए कमा लेते.इस काम में मेरे पति उत्तम काग भी मदद करते हैं."

हर घर में महिलाओं की यही कहानी है.कुछ दिन की ट्रेनिंग के बाद ये महिलाएं अपना काम शुरू कर देती हैं. इसी से ये महिलाएं आत्मनिर्भर हो रहीं.

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तैयार ओढ़नी को चेक करती ललिता चोयल (Image: Ravivar Vichar)

इसी गांव की ललिता कमल चोयल बताती है-"इस काम में बहुत मेहनत है.अभी मशीन पर कशीदाकारी और कढ़ाई के लिए दस से 12 घंटे तक बैठना पड़ता. धागे के हिसाब से 50 से 70 रुपए प्रति ओढ़नी पैसा मिल जाता.हम मटेरियल तैयार कर वापस कारोबारियों को भेज देते. हम चाहते हैं कि सरकार हमारे लिए  self help group का गठन भी करे. जिससे हम और अधिक मशीने खरीद सकें."  

Tribal Culture  Costume पर करती हैं महिलाएं Embroidery 

Tribal इलाका होने के कारण यहां के कल्चर और ड्रेस की डिमांड अधिक है.कारोबारी थोक में ओढ़नी इस गांव में भेज कर कशीदाकारी का काम देते.

Farmer Production Organization के अध्यक्ष Chandra  Shekhar  Chauhan बताते हैं-"तलवाड़ा बुज़ुर्ग के किसान One District One Product के तहत Ginger का उत्पादन भी करते हैं.किसानों के लिए प्रयास किया और Nature To Earth FPO का गठन किया.इसमें kisan didiyan भी शामिल हैं.इनमें से ही लगभग 300 महिलाएं सिलाई का काम करती.यह खुद अपनी कमाई से स्वाभिमान से जी रहीं.हम इन्हें प्रमोट कर रहे.प्रयास कर रहे कि  आजीविका मिशन से  सरकारी समूह  का गठन हो जिससे  अधिक मदद मिल सके."


ओढ़नी में Cotton के पांच मीटर कपड़ा होता है.इस ओढ़नी पर ये महिलाएं embroidery कर सुंदर रंग-बिरंगे फूल और बॉर्डर उकेर देती हैं.     

 

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