इतिहास गवाह है, अन्याय के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद करनी हो, या अपने अधिकारों के लिए लड़ना- महिलाओं ने एकता की शक्ति को पहचानते हुए, समाज में बदलाव की अगुवाई की है. महिलाओं की सामूहिक शक्ति की बात हो और 'sari squad' का ज़िक्र न हो, ऐसा हो नहीं सकता.
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Martial Art में कुश Asian महिलाओं का समूह था Sari Squad
'साड़ी स्क्वॉड' मार्शल आर्ट में कुशल साहसी दक्षिण एशियाई महिला कार्यकर्ताओं का एक समूह था. इन महिलाओं (women activists) ने 1980 के दशक में, नस्लवादी हमलों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाकर अपनी पहचान बनाई. इन महिलाओं ने लंदन, यूनाइटेड किंगडम में racist attacks और असमान immigration policies के खिलाफ लड़ाई लड़ी.
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साड़ी स्क्वॉड की ज़्यादातर सदस्य south asian महिलाएं थीं, जिन्होंने ब्रिटेन में इमिग्रेंट्स और विदेशियों के खिलाफ हो रहे रेसिस्ट हमलों का विरोध किया. कवि Benjamin Zephaniah के अनुसार, 'वे स्टाइल के साथ लड़ीं, और किसी भी हमलावर को देखने के बाद गाना गुनगुनाना उनका स्टाइल था.'
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आफ़िया बेगम के डेपोर्टेशन के खिलाफ चलाया था अभियान
साड़ी स्क्वॉड 1984 में मीडिया के ध्यान में तब आया जब उन्होंने बांग्लादेश की एक युवा विधवा आफ़िया बेगम के डेपोर्टेशन (young widow afia begun deportation case) के खिलाफ सख्ती से अभियान चलाया. उचित कागजी कार्रवाई और वीजा होने के बावजूद, आफ़िया को हीथ्रो हवाई अड्डे पर प्रवेश से इनकार कर दिया गया था. इमिग्रेशन ऑफिसर्स ने कहा कि, क्योंकि अब उनके पति नहीं रहे, इसीलिए उन्हें और उसके नवजात बच्चे को देश में रहने का कोई अधिकार नहीं.
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आफ़िया के पति की ब्रिक लेन में लगी आग से आकस्मिक मौत हो गई थी. साड़ी स्क्वॉड आफ़िया बेगम के मामले को यूरोपीय मानवाधिकार आयोग तक ले गया. लेकिन इससे पहले कि आयोग कुछ कर पाता, ब्रिटिश सरकार ने आधी रात में आफ़िया को गिरफ्तार कर लिया और उसे डिपोर्ट कर दिया.
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साड़ी स्क्वॉड भले ही हार गया हो, लेकिन न्यायपूर्ण और समान समाज बनाने के प्रति उनका समर्पण और उनका निरंतर अभियान आज भी कई कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा बना हुआ है. 21वीं सदी में भी, सक्रिय रूप से असमान नीतियों के ख़िलाफ़ लड़ रहीं महिलाओं के समूहों को मीडिया द्वारा 'साड़ी स्क्वॉड' कहा जाता है, जैसे बांग्लादेशी ग्रामीण जो Chunati Wildlife Sanctuary की रक्षा कर रही हैं. ये साहसी महिलाएं 'कल' लड़ीं ताकि हमें 'आज' बेहतर समाज मिल सके.
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